चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए आपराधिक मामलों में दोषी नेता को पदाधिकारी बनाए रखने के मामले में राजनीतिक पार्टियों का रजिस्ट्रेशन रद्द करने का अधिकार दिए जाने की मांग है।
वर्तमान में चुनाव आयोग पार्टियों का रजिस्ट्रेशन तो करता है, लेकिन चुनावी नियम तोड़ने वाली पार्टियों के खिलाफ कार्रवाई का अधिकार नहीं है। आयोग ने मांग की है कि कानून में बदलाव कर उसे कार्रवाई का अधिकार दिया जाना चाहिए।
आयोग ने यह हलफनामा बीजेपी नेता अश्विनि उपाध्याय द्वारा दायर की गई याचिका के जवाब में दाखिल किया है।
बीजेपी नेता अश्विनि उपाध्याय ने याचिका में सजायाफ्ता लोगों को पार्टी पदाधिकारी बनने या नई पार्टी बनाने से रोकने की मांग की है।
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याचिका में कहा गया है कि अगर कोई पार्टी आपराधिक केस में दोषी नेता को पदाधिकारी बनाए रखती है तो उसका रजिस्ट्रेशन रद्द होना चाहिए।
आयोग ने इस याचिका के जवाब में कहा, 'देश में राजनीतिक पार्टियों में आंतरिक लोकतंत्र बहुत जरूरी है और कानून में बदलाव के जरिए उसे ये अधिकार मिलना चाहिए ताकि वो उपयुक्त गाइडलाइन बना सके।'
इसी मसले पर आयोग ने जवाब दाखिल किया है। आयोग ने कहा कि वह पिछले 20 सालों से केंद्र सरकार से कानून में बदलाव की मांग कर रही है लेकिन सरकार ने इस मसले पर कोई भी सकारात्मक रवैया नहीं दिखाया है।
अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होगी।
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Source : News Nation Bureau