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वित्त सचिव अशोक लवासा ने कहा कि बजट सरकार की नीतियों के अनुरूप है।
File photo- Getty Image
भारतीय अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का प्रभाव अस्थायी है। वित्त वर्ष 2017-18 में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की रफ्तार 7 फीसदी से अधिक होगी। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने शनिवार को ये बातें कही।
दास ने यहां फेडरेशन ऑफ इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में कहा, 'अर्थव्यवस्था पर नोटबंदी का प्रभाव अस्थायी है और अगले साल तक इसका असर दूर हो जाएगा और हम 7 फीसदी से अधिक की विकास दर देखेंगे और उसके बाद भी अर्थव्यवस्था की रफ्तार में बढ़ोतरी जारी रहेगी।'
आर्थिक मामलों के सचिव ने कहा, 'वैश्विक अर्थव्यवस्था जहां विपरीत दौर से गुजर रही है, वहीं भारत मजबूती से खड़ा है।'
दास ने कहा कि 2017-18 के बजट में एक प्रगतिशील दृष्टिकोण अपनाया गया है और पूर्वप्रभाव से कर लगाने से बचाव किया है, आधार के माध्यम से सरकार लक्षित समर्थन मुहैया कराएगी, ठेके पर खेती को लेकर मॉडल कानून बनाएगी, एयरपोर्ट अथॉरिटी एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव है, मेट्रो के विकास के संशोधनों का प्रस्ताव है, ताकि निजी निवेश का दोहन किया जा सके, किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान के लिए स्पॉट और डेरिवेटिव बाजारों का एकीकरण जैसी योजनाएं शामिल हैं।
इस अवसर पर वित्त सचिव अशोक लवासा ने कहा कि बजट सरकार की नीतियों के अनुरूप है, दृष्टिकोण में उम्मीद के मुताबिक है और उद्योग जगत के लिए पूर्वानुमेय है।
लवासा ने कहा कि ई-मार्केट के द्वारा सरकारी खरीद और केंद्रीय योजनाओं के तर्कसंगत माध्यम से प्रशासन अधिक पारदर्शी और कुशल बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हर दो साल में एक बार सरकारी योजनाओं का मूल्यांकन किया जाएगा, तथा किस तरह से धन खर्च हो रहा है इसका भी मूल्यांकन किया जाएगा।
राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि सरकार के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण काम के सकल घरेलू उत्पाद में व्यक्तिगत आयकर की हिस्सेदारी बढ़ाना है, जो वर्तमान में काफी कम है।
Source : IANS