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शीतकालीन सत्र (Winter Session) में उठ सकते हैं अर्थव्यवस्था (Economy), अयोध्या (Ayodhya), एनआरसी (NRC) के मुद्दे, भाजपा जुटी तैयारी में

संसद (Parliament) के आगामी शीतकालीन सत्र (Winter Session) में विपक्ष अर्थव्यवस्था की सुस्ती (Economic Recession), अयोध्या विवाद (Ayodhya Issue) और एनआरसी (NRC) के मुद्दे पर मोदी सरकार (Modi Sarkar) की घेराबंदी करने की कोशिश कर सकता है.

Updated on: 30 Oct 2019, 07:38 AM

नई दिल्ली:

संसद (Parliament) के आगामी शीतकालीन सत्र (Winter Session) में विपक्ष अर्थव्यवस्था की सुस्ती (Economic Recession), अयोध्या विवाद (Ayodhya Issue) और एनआरसी (NRC) के मुद्दे पर मोदी सरकार (Modi Sarkar) की घेराबंदी करने की कोशिश कर सकता है. भाजपा (BJP) को भी इसका अंदाजा है. इस वजह से संसद में मुखर होकर बोलने वाले पार्टी के लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha) के प्रमुख सांसद अभी से इन विषयों की तैयारी में जुट गए हैं. भाजपा मुख्यालय पर बैठने वाली रिसर्च टीम से भी इन विषयों पर पूरी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से 13 दिसंबर के बीच चलेगा.

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भाजपा के एक वरिष्ठ राज्यसभा सांसद ने आईएएनएस को बताया, "कश्मीर पर पिछले सत्र में ही बहुत सारी बहस हो चुकी है, अब वहां के हालात सामान्य हैं. विदेशी सांसदों के कश्मीर दौरे पर विपक्ष के स्टैंड को देखते हुए सत्र में कुछ सवाल उठ सकते हैं, बाकी अब ज्यादा गुंजाइश नहीं है. विपक्षी दलों के के पास वैसे कोई बड़ा मुद्दा नहीं है, मगर आर्थिक मुद्दों पर जरूर वे सरकार की घेराबंदी करने की कोशिश करेंगे. हम भी इसे समझते हैं और शीतकालीन सत्र में हर मुद्दे पर बहस के लिए तैयार हैं, हर सवाल का सामना करेंगे."

संसद के शीतकालीन सत्र में अयोध्या का मुद्दा भी उठ सकता है. वजह कि इसके ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट का फैसला आना है. लगातार लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. माना जा रहा है कि चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के 17 नवंबर को रिटायरमेंट से पहले सुप्रीम कोर्ट इस मसले पर अहम फैसला सुनाएगा. ऐसे में तुरंत बाद शुरू होने वाले शीतकालीन सत्र में भी इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्ता पक्ष में बहस होने की संभावना है.

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भाजपा के नेता पूरे देश में एनआरसी लागू करने की बात उठाते रहे हैं. इस मुद्दे पर भी घमासान मच सकता है. वजह कि असम में 31 अगस्त को प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर(एनआरसी) से 19 लाख से अधिक लोगों के बाहर होने में अधिकांश हिंदू हैं. नागरिकता का सुबूत न दे पाने के कारण एनआरसी में जगह बनाने से चूके इन हिंदुओं को राहत देने के लिए सरकार इसे लागू करने से पहले नागरिकता संशोधन बिल पास करना चाहती है.

नागरिकता संशोधन विधेयक पास होने पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलने का रास्ता खुल जाएगा. इस प्रस्तावित विधेयक का विपक्ष विरोध इसलिए कर रहा कि इसमें मुस्लिमों को नागरिकता से दूर रखा गया है. विपक्ष का कहना है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करने वाला और समानता के अधिकार के विरुद्ध है.

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भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पहले ही कह चुके हैं कि एनआरसी से पहले नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराया जाएगा. अमित शाह ने कोलकाता की एक रैली में कहा था, "सभी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध और ईसाई शरणार्थियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि उन्हें भारत छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा."

सूत्रों का कहना है कि सरकार इस सत्र में नागरिकता संशोधन विधेयक पास कराने की पूरी कोशिश में है, ताकि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई आदि लोगों को भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सके.