सुप्रीम कोर्ट के बाद चुनाव आयोग ने भी 1 फरवरी को आम बजट पेश करने की अनुमति दे दी है। हालांकि इसके साथ निर्वाचन आयोग ने सरकार को 2009 की एडवाइजरी को ध्यान में रखते हुए चुनावी राज्यों के लिए बजट में किसी तरह की विशेष योजना जारी नहीं किए जाने की हिदायत दी है।
चुनाव आयोग ने कहा कि वित्त मंत्री के भाषण में चुनावी राज्यों में सरकार की उपलब्धियों के बारे में न बताया जाए। बजट की मंजूरी के साथ ही चुनाव आयोग ने सरकार को 2009 की एक एडवाइजरी की भी याद दिलाई जिसमें कहा गया था कि परंपरा के अनुसार चुनावों से पहले लेखानुदान पेश किया जाता है।
चुनाव आयोग ने कहा कि वह अपेक्षा करता है कि आयोग के उस पत्र में दी गई सलाह का भी सरकार वित्त वर्ष 2017-18 के लिए बजट पेश किये जाते समय ध्यान रखेगी। चुनाव आयोग ने 2009 में कहा था कि वह चुनाव के समय बजट के संदर्भ में कोई आदेश नहीं देना चाहेगा।
चुनाव आयोग ने कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा से कहा, "आयोग निर्देश देता है कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनावों के लिए और सभी के लिए स्थिति समान बनाए रखते हुए किसी राज्य-केंद्रित योजना की घोषणा नहीं की जाएगी जिसकी चुनाव वाले पांच राज्यों के मतदाताओं पर सत्तारूढ़ दलों के पक्ष में असर पड़ने की संभावना हो।"
गौरतलब है कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा होने के बाद विपक्ष के 16 राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से एक फरवरी को बजट पेश किए जाने पर रोक लगाए जाने की मांग की थी।विपक्ष का कहना था कि मोदी सरकार आम बजट की मदद से पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को प्रभावित कर सकती है।
देश के पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है। बजट के ठीक तीन दिन बाद पंजाब और गोवा में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मणिपुर में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।
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Source : News Nation Bureau