कारगिल युद्ध में सिर्फ पाकिस्तान नहीं कई देशों ने दिया था धोखा, जनरल वीपी मलिक का खुलासा
कारगिल युद्ध के समय हरेक अर्जेंट खरीदारी चाहे में वह किसी भी देश से की गई हो, उसने भारत का भरपूर शोषण किया.
highlights
- मनमानी कीमत लेने के बावजूद भारत को तीन साल पुराने सैटेलाइट फोटो दिए गए.
- एक अन्य देश ने तो मनमानी कीमत के बावजूद 1970 के गोला बारूद दिए.
- जब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं होगा तब तक हमारे सुरक्षा बल असुरक्षित रहेंगे.
New Delhi:
कारगिल युद्ध पाकिस्तान की ओर से भारत की पीठ में छुरी घोपने जैसा काम था. सिर्फ पाकिस्तान ही नहीं, उस वक्त कई देशों ने भारत की तात्कालिक जरूरतों को देखते हुए अपना-अपना उल्लू सीधा किया था. यही वजह है कि कारगिल युद्ध के दो दशक बाद भी इससे जुड़े नए-नए तथ्य सामने आकर चौंका रहे हैं. इस कड़ी में भारतीय सेना के तत्कालीन प्रमुख जनरल (रिटायर) वीपी मलिक ने दावा किया है कि कारगिल के समय भारत को विदेशों से हथियार और गोला बारूद मंगाना पड़ा था. इसके साथ ही उन्होंने यह खुलासा भी किया है कि इन देशों ने मदद की बजाय बाजार दर से बहुत ज्यादा कीमत वसूली. और तो और, फरेब का आलम यह था कि मनमानी कीमत लेने के बावजूद भारत को तीन साल पुराने सैटेलाइट फोटो दिए गए.
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70 के दशक के गोला-बारूद दिए गए
जनरल मलिक ने चंडीगढ़ में मेक इन इंडिया पर आयोजित एक कार्यक्रम में यह खुलासा शनिवार को किया. उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध के समय भारत को हथियार और गोला-बारूद की सख्त जरूरत थी, लेकिन कुछ देशों ने मदद के नाम पर घटिया सामग्री दी. उन्होंने कहा, 'कारगिल युद्ध के समय हरेक अर्जेंट खरीदारी चाहे में वह किसी भी देश से की गई हो, उसने भारत का भरपूर शोषण किया. हमने एक देश से कुछ तोपें मांगीं तो उसने शुरू में देने का वादा किया लेकिन बाद में पुरानी तोपों को मरम्मत कर भारत को दे दिया. हमें कुछ गोला बारूद की जरूरत थी और हमने एक अन्य देश से संपर्क किया तो हमें 1970 के दशक के गोला बारूद दे दिए गए.'
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36 हजार में सालों पुराने सैटेलाइट इमेज
जनरल मलिक ने खुलासा किया कि भारत को हरेक सैटेलाइट इमेज के लिए 36 हजार रुपये देने पड़े. इतना पैसा देने के बाद भी भारत को नए की बजाय 3 साल पुराने सैटेलाइट इमेज दिए गए. मलिक ने कहा कि भारत के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जरूरी हथियार नहीं दे पाते हैं, इसलिए हमें विदेशों से यह मंगाना पड़ता है. उन्होंने कहा, 'जब तक भारत आत्मनिर्भर नहीं होगा तब तक हमारे सुरक्षा बल असुरक्षित बने रहेंगे. आज के समय में तकनीक बहुत तेजी से बदल रही है और हमारे सिस्टम की गड़बड़ी यह है कि जब तक तकनीक सुरक्षा बलों तक पहुंचती है, वह पुरानी हो जाती है.'
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