अकाली दल फिर से साथ आना चाहे तो इस बार छोटे भाई की भूमिका में उनका स्वागत है : पंजाब भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम ( इंटरव्यू)
अकाली दल फिर से साथ आना चाहे तो इस बार छोटे भाई की भूमिका में उनका स्वागत है : पंजाब भाजपा प्रभारी दुष्यंत गौतम ( इंटरव्यू)
नई दिल्ली:
विरोधी दल आरोप लगा रहे हैं कि चुनावों में हार के डर की वजह से मोदी सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का फैसला किया है । विरोधियों के इन आरोपों में कितनी सच्चाई है ? सरकार ने आखिरकार क्या सोच कर इन कानूनों को वापस लेने का फैसला किया ? इस फैसले से भाजपा को चुनावों में खासकर पंजाब में कितना फायदा होने जा रहा है ? क्या कृषि कानूनों की वजह से भाजपा का साथ छोड़ने वाले अकाली दल की वापसी की भी कोई संभावना बन पा रही है ? अमरिंदर सिंह के साथ गठबंधन के ऐलान में आखिर कहां और क्यों देरी हो रही है ? इन तमाम मुद्दों पर आईएएनएस के वरिष्ठ सहायक संपादक ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव एवं पंजाब , उत्तराखंड और चंडीगढ़ के प्रभारी दुष्यंत कुमार गौतम से खास बातचीत की।सवाल - तीनों कृषि कानूनों के वापसी के ऐलान से पंजाब की राजनीति में क्या फर्क पड़ने जा रहा है, खासतौर से गठबंधन की राजनीति को लेकर क्या बड़ा बदलाव होने वाला है ?
जवाब- हमारा स्टैंड पहले से ही साफ रहा है कि कोई भी राष्ट्रवादी व्यक्ति या पार्टी भाजपा के साथ जुड़ सकती है। जिनके बयानों से , जिनके व्यवहार से देश की सीमाएं सुरक्षित रहें , देश में शांति बनी रहे और सबकी धार्मिक आस्थाएं कायम रहें। ऐसा कोई भी व्यक्ति भाजपा के साथ जुड़ सकता है। उन सबका स्वागत है, हमारे सारे विकल्प खुले हुए हैं।
सवाल - आपके सबसे पुराने सहयोगियों में से एक अकाली दल ने इन्ही कृषि कानूनों का विरोध करते हुए आपका साथ छोड़ा था। अब, जब आपकी सरकार ने स्वयं ही इन तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला कर लिया है तो क्या अकाली दल के फिर से आप लोगों ( भाजपा ) के साथ आने की कोई संभावना है ?
जवाब- जब वो ( अकाली दल ) ऐसी बात रखेंगे तो हमारा संसदीय बोर्ड उस पर फैसला करेगा । हमने अपने दरवाजे कभी भी बंद नहीं किए हैं। पहले वो राज्य में बड़े भाई की भूमिका में थे , अब हो सकता है कि वो छोटे भाई की भूमिका में हमारे साथ आएं। वो खुद हमारा साथ छोड़ कर गए थे और अगर अब वो ( अकाली दल ) फिर से हमारे साथ आना चाहते हैं तो इस बार छोटे भाई की भूमिका में उनका स्वागत है।
सवाल - पंजाब की राजनीति में भाजपा के साथ गठबंधन में अकाली दल की भूमिका हमेशा बड़े भाई की रही है और अब आप उन्हे छोटे भाई की भूमिका में लाना चाहते हैं । आपको क्या वाकई लगता है कि अकाली दल एनडीए के बैनर तले पंजाब में छोटे भाई की भूमिका स्वीकार करेगा ?
जवाब- इस सवाल के जवाब में मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि भाजपा पहले 23 सीटों पर चुनाव लड़ती थी लेकिन इस बार राज्य की सभी 117 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। हमने तो अपना इरादा पहले से ही साफ कर दिया है कि इस बार भाजपा पूरी मजबूती और ताकत के साथ प्रदेश की सभी 117 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है और इसी रणनीति के अनुसार हमने तैयारियां भी शुरू कर दी है। आप बताइए , हमने पंजाब के लिए क्या नहीं किया ? राज्य और केंद्र में भी लंबे समय तक कांग्रेस की सरकारें रही लेकिन ना तो ये काली सूची खत्म कर पाए , ना ही करतारपुर कॉरिडोर बनवा पाए और ना ही 84 दंगा पीड़ितों को न्याय दिलवा पाए। 2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद 84 दंगे के दोषियों को सजा मिलनी शुरू हुई। मोदी सरकार के प्रयासों की वजह से ही करतारपुर कॉरिडोर बन पाया और हमारी सरकार ने ही इसे दोबारा शुरू किया। हमने पंजाब की जनता के लिए इतना कुछ किया है और हमें पूरी उम्मीद है कि जनता हमें आशीर्वाद देगी।
सवाल - लेकिन क्या राज्य में भाजपा अकेले अपने दम पर सभी 117 विधान सभा सीटों पर चुनाव लड़ने में सक्षम है ?
जवाब - भाजपा भले ही राज्य में 23 सीटों पर ही चुनाव लड़ती आई हो लेकिन उस समय पर भी प्रदेश की सभी 117 विधान सभा सीटों पर मंडल स्तर तक हमारा संगठन सक्रिय था और हम लगातार जनता की सेवा के लिए काम कर रहे थे। भाजपा राजनीतिक दल से ज्यादा एक सामाजिक संगठन है और हम हमेशा जनता के दुख-दर्द में उनके साथ खड़े रहे हैं। केरल में हम चुनाव नहीं जीत पा रहे हैं तो क्या वहां हमारा संगठन नहीं है ? भाजपा का देश के सभी राज्यों में जीवित संगठन है और देश के लिए कुबार्नी देने वाला संगठन है।
सवाल - नई पार्टी का ऐलान करते समय अमरिंदर सिंह ने भाजपा के साथ गठबंधन की यही शर्त रखी थी कि किसान आंदोलन का सम्मानजक समाधान होना चाहिए। अब आपकी सरकार ने कानूनों की वापसी का ऐलान तो कर ही दिया है तो अमरिंदर साहब की पार्टी के साथ गठबंधन का आधिकारिक ऐलान आप लोग कब तक करने जा रहे हैं ?
जवाब- यह तो अमरिंदर सिंह जी को तय करना है , जब वो गठबंधन के लिए हमारे पास आएंगे, अपनी इच्छा जताएंगे तभी तो विचार के लिए गेंद हमारे पाले में आएगी।
सवाल - आपके विरोधी आरोप लगा रहे हैं कि आपने चुनावों में हार के डर की वजह से इन कृषि कानूनों को वापस लिया है ?
जवाब- हमने हार के डर की वजह से इन कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया बल्कि देश में शांति बनाए रखने के लिए, देश को टुकड़े-टुकड़ होने से बचाने के लिए बहुत ही भारी मन से इसे वापस लिया है। किसान आंदोलन के पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतें जिस तरह का माहौल बना रही थी। दलितों की हत्या की जा रही थी । किसान आंदोलन को हिंदू बनाम सिख का रंग देने की कोशिश की जा रही थी । तिरंगे का अपमान किया जा रहा था। लोगों की भावनाओं को भड़काने का प्रयास किया जा रहा था, देश का माहौल बिगाड़ने का षडयंत्र रचा जा रहा था इसे देखते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने देशहित में इन तीनों कानूनों को वापस लेने का फैसला किया ।
सवाल - वापसी के इस फैसले से चुनावों में भाजपा को कितना फायदा होगा ?
जवाब - आप राजनीति प्रेरित बात कर रहे हैं जबकि हम राष्ट्र प्रेरित बात कर रहे हैं, देश की बात कर रहे हैं। हमारे लिए सत्ता नहीं देश पहले जरूरी है। लेकिन यह भी सच है कि हम राहुल गांधी तो है नहीं कि पश्चिम बंगाल में उनकी सीटें 44 से घटकर जीरो हो गई फिर भी वो खुश नजर आ रहे हैं। हम तो पश्चिम बंगाल में 3 से बढ़कर 77 सीटें जीतने के बाद भी इसलिए परेशान हो रहे हैं कि आखिर हमारी कोशिशों में कमी कहां रह गई , हम जनता तक अपनी बातें क्यों नहीं पहुंचा पाए ? लेकिन मैं फिर कहना चाहूंगा कि देश हमारे लिए सबसे पहले है।
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