डीआरआई ने 32 करोड़ रुपये मूल्य के 100 किलोग्राम गोल्ड पोटेशियम साइनाइड जब्त किया
डीआरआई ने 32 करोड़ रुपये मूल्य के 100 किलोग्राम गोल्ड पोटेशियम साइनाइड जब्त किया
मुंबई:
राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने यहां एयर कार्गो कॉम्प्लेक्स में 32 करोड़ रुपये मूल्य के 100 किलोग्राम गोल्ड पोटेशियम साइनाइड (जीपीसी) की एक खेप जब्त की है। यह खेप मुंबई की एक फर्म द्वारा दुबई निर्यात की जा रही थी।पहले मिली खुफिया जानकारी के आधार पर डीआरआई ने रविवार को इस खेप की बरामदगी की। इसमें दुबई स्थित एक इकाई को जीपीसी की बड़ी मात्रा के निर्यात के संबंध में जानकारी दी गई थी। इसमें मुंबई में निर्यात करने वाली एक फर्म का जिक्र था।
जीपीसी को पोटैशियम डाइसायनोएरेट के रूप में भी जाना जाता है और धातुओं के इलेक्ट्रोलाइटिक गोल्ड प्लेटिंग में इसका विशेष उपयोग होता है। इसे निर्यात करने के प्रयास में जीपीसी को सोने के शुल्क मुक्त आयात से निर्मित एक परिणामी उत्पाद के रूप में घोषित किया गया, जिसे मुंबई स्थित फर्म को एक अग्रिम प्राधिकरण (एए) लाइसेंस के खिलाफ इनपुट के रूप में लाने की अनुमति दी गई थी।
डीआरआई ने अपने एक बयान में कहा,मुंबई स्थित निर्यातक ने कभी भी शुल्क-मुक्त इनपुट से किसी भी निर्यात उत्पाद का निर्माण नहीं किया, जिसे आयात करने की अनुमति दी गई थी। बल्कि इसके बजाय इसने आयातित शुल्क मुक्त सोने को पिघलाकर और फिर से तैयार करके लाभ कमाने के लिए घरेलू बाजार में उतारा। यह प्रभावी रूप से अग्रिम प्राधिकरण योजना के तहत लगाए गए वास्तविक उपयोगकर्ता शर्त का उल्लंघन है।
बयान में कहा गया है कि अग्रिम प्राधिकरण योजना के तहत अपने निर्यात दायित्वों को पूरा करने के लिए मुंबई स्थित निर्यातक गांधीनगर स्थित एक कनेक्टेड फर्म से जीपीसी की खरीद कर उसे गलत तरीके से अग्रिम प्राधिकरण के तहत शुल्क मुक्त लाए गए आयातित सोने से बने परिणामी उत्पाद होने का दावा किया।
गांधीनगर का यह फर्म एक ईपीसी कंपनी थी। इसने आसियान भारत मुक्त व्यापार समझौते (एआईएफटीए) के तहत उपलब्ध शून्य प्रतिशत शुल्क रियायतों के लाभों का दावा करके पिछले सप्ताह इंडोनेशिया से इस जीपीसी का आयात किया था।
अब तक एकत्र किए गए दस्तावेजी और अन्य साक्ष्य इंगित करते हैं कि दुबई को निर्यात की गई जीपीसी को दोबारा इंडोनेशिया में भेजा गया ताकि गांधीनगर में अपनी संबद्ध कंपनी के माध्यम से मुंबई कंपनी को वापस आपूर्ति की जा सके। इस प्रकार से एक ही सामान की आपूर्ति जानबूझकर अवैध ढंग से बार-बार की गई।
बयान में कहा गया है कि अनुमानित शुल्क चोरी 338 करोड़ रुपये है, इस अवैध योजना को नियंत्रित करने और संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले दो व्यक्तियों को इस साल 10 जुलाई को गिरफ्तार किया गया है और अब उन्हें 21 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।
इस मामले की आगे जांच जारी है।
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