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DRDO ने स्वदेशी उन्नत पिनाका रॉकेट का सफल परीक्षण किया

DRDO ने ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR), चांदीपुर में एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) से स्वदेशी रूप से विकसित पिनाका रॉकेट के विस्तारित-रेंज संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.

Updated on: 25 Jun 2021, 11:32 PM

highlights

  • DRDO ने पिनाका रॉकेट के विस्तारित-रेंज संस्करण का परीक्षण किया
  • रॉकेट 45 किलोमीटर तक की दूरी पर टारगेट को नष्ट कर सकता है
  • इसको भगवान शंकर के धनुष 'पिनाक' के नाम पर विकसित किया गया है

नई दिल्ली:

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने आज यानी शुक्रवार को ओडिशा के तट पर एकीकृत परीक्षण रेंज (ITR), चांदीपुर में एक मल्टी-बैरल रॉकेट लॉन्चर (MBRL) से स्वदेशी रूप से विकसित पिनाका रॉकेट के विस्तारित-रेंज संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. रॉकेट 45 किलोमीटर तक की दूरी पर टारगेट को नष्ट कर सकता है.  जानकारी के अनुसार पिनाका रॉकेट्स को मल्‍टी-बैरल रॉकेट लॉन्‍चर से छोड़ा जाता है. यह लॉन्‍चर केवल 44 सेकेंड्स में 12 रॉकेट्स दागने की क्षमता रखता है. इसको भगवान शंकर के धनुष 'पिनाक' के नाम पर विकसित किया गया है. इस मिसाइल सिस्‍टम को भारत और पाकिस्‍तान से लगी सीमाओं पर तैनात किया जा सकता है.

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आपको बता दें कि इससे पहले रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने ओडिशा के तट से दूर एकीकृत परीक्षण रेंजचांदीपुर से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) प्रौद्योगिकी पर आधारित फ्लाइट टेस्ट को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था. बूस्टर मोटर और नोजल रहित मोटर समेत सभी उप प्रणालियों ने अपेक्षा के अनुसार प्रदर्शन किया. परीक्षण के दौरान, ठोस ईंधन आधारित डक्टेड रैमजेट प्रौद्योगिकी सहित अनेक नई प्रौद्योगिकियों का परीक्षण साबित हुआ. ठोस ईंधन आधारित डक्टेड रैमजेट तकनीक के सफल प्रदर्शन ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संस्थान को तकनीकी लाभ प्रदान किया है, जिससे वह लंबी दूरी की हवा से हवा में मिसाइलें विकसित कर पाएगा.

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वर्तमान में ऐसी तकनीक सिर्फ दुनिया के गिने-चुने देशों के पास ही उपलब्ध है. परीक्षण के दौरान, एयर लॉन्च परि²श्य को बूस्टर मोटर का उपयोग करके सिम्युलेट किया गया था. बाद में नोजल रहित बूस्टर ने इसको रैमजेट ऑपरेशन के लिए आवश्यक मैक नंबर पर त्वरित किया. मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी आईटीआर द्वारा तैनात इलेक्ट्रो ऑप्टिकल, रडार और टेलीमेट्री उपकरणों द्वारा कैप्चर किए गए आंकड़ों का उपयोग करके की गई थी और मिशन के उद्देश्यों के सफल प्रदर्शन की पुष्टि हुई. इस प्रक्षेपण की निगरानी रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल), अनुसंधान केंद्र इमरत (आरसीआई) और हाई एनर्जी मैटेरियल रिसर्च लेबोरेट्री (एचईएमआरएल) सहित विभिन्न डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों ने की.