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डीआरडीओ प्रमुख ने 'मिशन शक्ति' पर कहा-ऐसे परीक्षण गुप्त रखे ही नहीं जा सकते

'मिशन शक्ति' जैसे परीक्षण के लिए पहले से ही तमाम तरह की अनुमतियां लेनी पड़ती हैं. जाहिर है इस स्थिति में परीक्षण को गुप्त नहीं रखा जा सकता.

Updated on: 06 Apr 2019, 04:37 PM

नई दिल्ली.:

भारत के अंतरिक्ष सुरक्षा कार्यक्रम 'मिशन शक्ति' पर विगत दिनों टिप्पणी करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम ने उसका खुलासा करने पर केंद्र सरकार को 'बेवकूफ' करार दिया था. उनका कहना था कि भारत को Aset क्षमता का सार्वजनिक तौर पर बतौर उपलब्धि जिक्र नहीं करना चाहिए था। शनिवार को 'मिशन शक्ति' पर मीडिया से बात करते हुए डीआरडीओ प्रमुख जीएस रेड्डी ने चिदंबरम के बयान का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि इस तरह के परीक्षण को गुप्त नहीं रखा जा सकता है. उनके मुताबिक भारत ने जमीन से अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिरा राष्ट्रीय सुरक्षा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर हासिल किया है.

गौरतलब है कि पी चिदंबरम ने विगत दिनों कहा था कि अंतरिक्ष में सैटेलाइट मार गिराने की क्षमता भारत के पास पहले से थी. हालांकि अब जब मोदी सरकार ने इसका परीक्षण किया, तो उन्हें इसका बखान नहीं करना चाहिए था. चीन की ही तरह परीक्षण के बाद शांत रहना चाहिए था. ऐसे में 'मिशन शक्ति' का बखान कर केंद्र ने अपनी 'बेवकूफी' का ही परिचय दिया है.

माना जा रहा है कि इसका जवाब देने और 'मिशन शक्ति' की महत्ता बताने के लिए ही शनिवार को डीआरडीओ ने नई दिल्ली में मीडिया से बात की. वहां डीआरडीओ प्रमुख जीएस रेड्डी ने कहा कि 'मिशन शक्ति' जैसे परीक्षण गुप्त रखे ही नहीं जा सकते. किसी भी सैटेलाइट पर दुनिया भर के कई देश निगाह रखते हैं. कई सैटेलाइट संबंधित कक्षा में घूम रहे होते हैं. ऐसे में 'मिशन शक्ति' जैसे परीक्षण के लिए पहले से ही तमाम तरह की अनुमतियां लेनी पड़ती हैं. जाहिर है इस स्थिति में परीक्षण को गुप्त नहीं रखा जा सकता.

उन्होंने आगे कहा कि सैन्य क्षेत्र में अंतरिक्ष एक नई महत्ता और भूमिका अख्तियार कर चुका है. भारत जैसा देश जब 'मिशन शक्ति' सरीखे किसी काम को अंजाम देता है, अंतरिक्ष में किसी सजीव लक्ष्य यानी सैटेलाइट को भेदता है, तो ऐसे कामों को अंजाम देने लायक क्षमता का ही प्रदर्शन किया जाता है. सैन्य क्षेत्र में वैसे भी माना जाता है कि सुरक्षा का सबसे बेहतर तरीका 'निवारण' ही होता है. 'मिशन शक्ति' के जरिए भारत ने दिखा दिया है कि वह जमीन से अंतरिक्ष में किसी लक्ष्य को मार गिराने में सक्षम है. इस तकनीक और क्षमता का प्रयोग राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी हो सकता है.