डीआरडीओ ने देश का पहला मानव रहित टैंक 'मंत्रा' का किया निर्माण

डीआरडीओ ने सेना के लिए एक मानव रहित और रिमोट ऑपरेटेड टैंक मंत्रा का निर्माण किया है। जिसके तीन प्रकार हैं पहला निगरानी (सर्विलांस), माइन्स का पता लगाना, और परमाणु और जैव खतरे की टोह लेना।

डीआरडीओ ने सेना के लिए एक मानव रहित और रिमोट ऑपरेटेड टैंक मंत्रा का निर्माण किया है। जिसके तीन प्रकार हैं पहला निगरानी (सर्विलांस), माइन्स का पता लगाना, और परमाणु और जैव खतरे की टोह लेना।

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pradeep tripathi
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डीआरडीओ ने देश का पहला मानव रहित टैंक 'मंत्रा' का किया निर्माण

डीआरडीओ का रिमोट ऑपरेटेड टैंक मंत्रा

डीआरडीओ ने सेना के लिए एक मानव रहित और रिमोट ऑपरेटेड टैंक मंत्रा का निर्माण किया है। जिसके तीन प्रकार हैं पहला निगरानी (सर्विलांस), माइन्स का पता लगाना, और परमाणु और जैव खतरे की टोह लेना।

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अवाडी स्थिति कॉम्बैट व्हीकल्स रिसर्च एण्ड डेवेलपमेंट इश्टैब्लिशमेंट ने इसे सेना के लिये तैयार किया है। इस टैंक को लेकर अर्धसैनिक बलों ने काफी रुचि दिखाई है। इसका उपयोग नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में किया जा सकता है। हालांकि इसके लिये इसमें थोड़े परिवर्तन करने होंगे।

पूर्व राष्ट्रपति और रक्षा वैज्ञानिक एपीजे कलाम की स्मृति में चल रही प्रदर्शनी में इसका डिस्प्ले किया गया है। मंत्रा देश का पहला मानवरहित टैंक है। इसका उपयोग निगरानी के लिये किया जाएगा।

मंत्रा-एम लैंड माइन्स का पता लगाने के लिए और मंत्रा-एन उन जगहों के लिए है जहां न्‍यूक्‍लियर रेडिएशन या बायो हथियारों का खतरा होगा। यह सर्विलांस रडार, लेजर रेंज फाइंडर के साथ एक कैमरा से लैस है। यह 15 किमी की दूरी से दुश्‍मन का पता लगाकर उसपर हमला कर सकता है।

इसकी टेस्टिंग राजस्थान के महाजन फील्ड में की गई है। साथ ही यह धूल भरी जगहों और अधिकतम तापमान 52 डिग्री पर भी काम कर सकता है।

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डीआरडीओ के चेयरमैन एस क्रिस्‍टोफर ने कहा कि प्रदर्शनी से संस्‍थान की क्षमता का प्रदर्शन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि डीआरडीओ एक या दो वेपन सिस्‍टम का निर्यात करना चाहती है, जिनकी भारतीय सेना को ज़रूरत नहीं है। क्योंकि सेना ने नए और तकनीकी तौर पर काफी उन्नत हथियारों को हासिल कर लिया है।

उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने सरकार से निवेदन किया है कि उन्हें टेस्टिंग की इजाज़त दी जाए। उन्होंने कहा, 'हमें अपने उत्पादों को टेस्ट करने की इजाज़त दीजिये जो हो सकता है कि उनकी ज़रूरत तुरंत न पड़े लेकिन उनको विकसित किया जा सकता है और उन्हें एक्सपोर्ट भी किया जा सकता है। टॉरपीडो, मिसाइल और रॉकेट जैसे कुछ उत्पाद हैं जिन्हें एक्सपोर्ट किया जा सकता है।'

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उन्‍होंने बताया, ‘यदि हम पांच सालों में एक्सपोर्ट से 5 लाख करोड़ रुपये अर्जित कर लेते हैं तब हमें फंड के लिए सरकार पर निर्भर नहीं रहना होगा।

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Source : News Nation Bureau

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