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सीएए, एनपीआर पर सकारात्मक चर्चा की जरूरत : उप राष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने रविवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) जैसे मुद्दों पर विचारपूर्ण और सकारात्मक बहस जरूरी है और प्रदर्शन के दौरान हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए.

Updated on: 29 Dec 2019, 06:21 PM

हैदराबाद:

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) ने रविवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) जैसे मुद्दों पर विचारपूर्ण और सकारात्मक बहस जरूरी है और प्रदर्शन के दौरान हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. नायडू ने कहा, ‘सीएए (CAA) हो या एनपीआर (NPR), इन पर देश के लोगों को संवैधानिक संस्थाओं, सभाओं और मीडिया में विचारपूर्ण, सार्थक तथा सकारात्मक चर्चा में हिस्सा लेना चाहिए कि यह कब आया, क्यों आया, इसका क्या प्रभाव होगा और क्या इसमें किसी बदलाव की जरूरत है.'

उन्होंने कहा, ‘अगर हम इस बारे में चर्चा करेंगे तो हमारा तंत्र मजबूत होगा और जनता की जानकारी बढ़ेगी.’ अविभाजित आंध्र प्रदेश के दिवंगत मुख्यमंत्री एम चन्ना रेड्डी के जयंती समारोहों का उद्घाटन करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि केंद्र को भी असंतोष प्रकट कर रहे लोगों की आशंकाओं को दूर करना चाहिए.

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उन्होंने कहा, ‘लोकतंत्र में सहमति, असहमति बुनियादी सिद्धांत है. हम किसी चीज को पसंद करते हैं या नहीं, दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए और उस हिसाब से कार्रवाई होनी चाहिए.’

नायडू ने कहा, ‘प्रदर्शनों के दौरान हिंसा की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए. महात्मा गांधी ने सर्वाधिक विकट चुनौतियों में भी हिंसा के सभी प्रकारों से परहेज किया था.'

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इसके साथ ही उपराष्ट्रपति नायडू ने संसद और विधानसभाओं की गरिमा बनाये रखने तथा उनमें चर्चाओं का स्तर बढ़ाने पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि नीतियों की आलोचना करते वक्त निजी हमले नहीं किये जाने चाहिए.

इधर, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने रेडियो प्रोग्राम 'मन की बात' में सीएए के खिलाफ प्रदर्शनों में हुई हिंसा पर गहरा दुख जताते हुए कहा कि युवा पीढ़ी अराजकता पसंद नहीं करती है, उसे अनुशासन और सिस्टम पसंद है. मोदी ने कहा , 'एक बात तो तय है कि हमारे देश के युवाओं को अराजकता के प्रति नफरत है. अव्यवस्था और अस्थिरता के प्रति उनके मन में चिढ़ है. वे परिवारवाद, जातिवाद, अपना-पराया, स्त्री-पुरूष जैसे भेदभाव को पसंद नहीं करते हैं.'