अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से विश्व अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को एक और झटके का सामना करना पड़ेगा
अमेरिका में ब्याज दर बढ़ने से विश्व अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को एक और झटके का सामना करना पड़ेगा
बीजिंग:
पिछले हफ्ते अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाने और जून माह से बैलेंस शीट को सिकुड़ने की घोषणा की, जिसका मकसद आक्रामक मुद्रा सिकुड़न नीति से मुद्रास्फीती का मुकाबला करना है। इसने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में व्यापक चिंता पैदा की है कि इसके परिणामस्वरूप विश्व अर्थव्यवस्था और वित्तीय बाजारों को एक और झटके का सामना करना पड़ेगा।अमेरीका सदैव यूएस डॉलर के आधिपत्य के सहारे संकट को दुनिया में स्थानांतरित करता रहा है। पहला, अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर बढ़ाने से यूएस डॉलर के आकर्षण को उन्नत किया और नवोदित बाजार की पूंजी के बाहर जाने और मुद्रा के अवमूल्य होने के खतरे को बढ़ाया। दूसरा, यूएस डॉलर में मूल्य वृद्धि से अन्य मुद्रा अवमूल्य होगी, जिससे दूसरे देशों की खरीदारी शक्ति को कम भी किया जा सकेगा और विकासमान आर्थिक इकाइयों की कठिन आर्थिक पुनरुत्थान प्रक्रिया को बर्बाद किया जाएगा।
वास्तव में यूएस डॉलर के आधिपत्य की स्थापना के बाद वैश्विक धन को काटने का यह पुराना साधन अमेरिका ने कई बार किया था। अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर कम करने से नवोदित बाजार बहुत ज्यादा यूएस डॉलर को उधार लेते हैं, जबकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दर बढ़ाने से विनिमय दर में डांवाडोल की स्थित पैदा होगी, यहां तक कि मुद्रा संकट या वित्तीय संकट पैदा हो सकेगा।
सब से बड़ा वैश्विक आर्थिक इकाई होने के नाते अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मंदी आने से जरूर भारी जोखिम लाया जाएगा। विश्व को इस खतरे से सतर्क रहना चाहिए।
(साभार---चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
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