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डोकलाम में भारत-चीन के बीच हुए 73 दिन के तनाव के बाद भी दोनों देशों के बीच में स्थिति सामान्य नहीं हुई है। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने माना है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात 'संवेदनशील' हैं और उसके ज्यादा गंभीर होने का खतरा है।
उन्होंने कहा, 'एलएसी पर हालात संवेदनशील हैं, क्योंकि गश्त, अतिक्रमण और सैनिकों के बीच गतिरोध की हो रही घटनाओं के भड़कने की क्षमता है।'
दोनों देशों के बीच करीब 4000 किलोमीटर की सीमा लगती है जिसे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) कहा जाता है। दोनों देशों की सीमाएं ठीक से परिभाषित न होने के कारण विवादित हैं।
सेना का देश के लिये योगदान कार्यक्रम में उन्होंने कहा, 'आपसी विश्वास बढ़ाने के लिये कदम उठाए जा रहे हैं, हम वो सभी कदम उठाएंगे जो एलएसी की सुरक्षा के लिये ज़रूरी हैं।'
दोनों देशों के सैनिक डोकलाम में 73 दिनों तक आमने सामने थे। 16 जून को भारतीय सेना ने चीनी सेना को डोकलाम में सड़क बनाने से रोक दिया था। जिसके बाद दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने आ गई थीं। लेकिन 28 अगस्त को कूटनीतिक तरीके से सैनिकों को वहां से हटाया गया।
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सूत्रों का कहना है कि चीन उत्तरी डोकलाम में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है और विवादित स्थल पर इंफ्रास्ट्रक्चर को बढ़ा रहा है।
इससे पहले भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा था कि भारत की समय आ गया है कि पाकिस्तान की सीमा से फोकस हटा कर भारत को चीन की सीमा पर ध्यान केंद्रित करना होगा। क्योंकि यहां पर स्थिति चिंताजनक है।
क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान आईएसआईएस के विस्तार के लिये माध्यम बन सकता है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता से परमाणु हथियारों के आतंकियों के हाथों में पड़ने का खतरा है। उन्होंने धार्मिक कट्टरता के बढ़ने को लेकर भी चर्चा की और कहा कि इससे ठोस तरीके से निपटने की जरूरत है।
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Source : News Nation Bureau