चीन के साथ लगी सीमा पर भारत खुफिया तंत्र को मज़बूत करने की योजना बना रहा है। केंद्र सरकार सीमा पर हो रही घुसपैठ और गतिविधियों का पता लगाने के लिये सीमा जासूसी योजना को मंजूरी दी है।
सरकार की योजना के अनुसार सशस्त्र सीमा बल की नागरिक इकाई के 2000 से अधिक कर्मचारियों को देश की पूर्वी सीमा पर भेजा जाए ताकि इंटेलीजेंस ब्यूरो जमीनी उपस्थिति बढ़ाई जा सके।
सरकार इस कदम से एसएसबी की नागरिक ईकाई का सही उपयोग करना चाहती है। इकाई की कुल 2,765 पोस्ट्स साल भर में इटेलीजेंस के तहत आ जाएंगी।
भारत अपनी पूर्वी सीमा पर सड़कों और सैन्य बुनियादी सुविधाओं को बेहतर करना की कोशिश कर रही है।
सरकार की योजना के मुताबिक, 'एसएसबी की नागरिक इकाई आईबी के हवाले की जाएगी। उसके भंडार और अन्य चीजें जैसे जमीन, बुनियादी ढांचा, उपकरण आदि आईबी की कमान में होंगे।'
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सुरक्षा अधिकारियों का कहना है कि कि इससे संबंधित 300 पन्नों के प्रस्ताव को एसएसबी मुख्यालय में तैयार किया गया है। इस प्रस्ताव को गृह मंत्रालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के कार्यालय को विचार और कार्रवाई करने के लिये भेजा गया है।
नागरिक इकाई को काफी हद तक 'डेड' माना जाता है, लेकिन उसमें प्रमोशन और काम के ज्यादा मौके नहीं मिल पाते हैं। इसलिये उसके उपयुक्त उपयोग किया जा सके इसके लिये इस इकाई को पूर्वी सीमा पर खुफिया तंत्र को बढ़ाने के लिये इस्तेमाल किया जाएगा।
नागरिक इकाई के कर्मियों की औसत उम्र इस समय 50 साल से अधिक है। लेकिन उन लोगों ने नेपाल और भूटान सीमाओं पर काफी काम किया है और वहां के लोगों को जानते हैं।
वहां के स्थानीय लोगों को मुख्यधारा से भी जोड़ने का काम किया गया है ऐसे में वो खुफिया विभाग के लिये काफी उपयोगी साबित हो सकते हैं।
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Source : News Nation Bureau