उपेंद्र कुशवाहा के महागठबंधन में शामिल होने से क्या बिहार में बदलेगी तस्वीर?

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनावी नतीज़ों से उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब बिहार में अपने क़दम मज़बूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनावी नतीज़ों से उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब बिहार में अपने क़दम मज़बूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

author-image
Deepak Kumar
एडिट
New Update
उपेंद्र कुशवाहा के महागठबंधन में शामिल होने से क्या बिहार में बदलेगी तस्वीर?

कुशवाहा के साथ आने से कांग्रेस को बिहार में कितना मिलेगा फ़ायदा?

मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान चुनावी नतीज़ों से उत्साहित कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अब बिहार में अपने क़दम मज़बूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. इसी क्रम में गुरुवार को आरएलएसपी (राष्ट्रीय लोक समता पार्टी) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा यूपीए (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) में शामिल हो गए. कांग्रेस अध्यक्ष को उम्मीद है कि 2019 में एक बार फिर इतिहास दोहराया जाएगा. जिस तरह से 2015 बिहार चुनाव में नीतीश कुमार नीत जेडीयू (जनता दल युनाइटेड), लालू प्रसाद यादव नीत राजद (राष्ट्रीय जनता दल) और कांग्रेस ने मिलकर पीएम मोदी की विजय रथ को रोक दिया था. हालांकि 2017 में नीतीश महागठबंधन छोड़कर एक बार फिर से एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) का हिस्सा बन गए.

Advertisment

गुरुवार को कांग्रेस दफ़्तर में राहुल गांधी, बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी समेत कई अन्य वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में उपेंद्र कुशवाहा 'महागठबंधन' में शामिल हुए. इस मौक़े पर मीडिया से बात करते हुए कुशवाहा ने कहा, 'मैं सबका आभार प्रकट करता हूं. हम एनडीए से अलग क्यों हुए इसकी जानकारी तो सबको है. एक तरफ मेरा अपमान हो रहा था वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी की तरफ से उदारता दिखाई गई, इसी वजह से मैं इस गठबंधन में शामिल हुआ.'

वहीं बिहार की जनता पर पहली बार बात करते हुए उन्होंने कहा, 'पेट पालने के लिए कोई बाहर जाए बहुत दुखद है, दूसरे राज्यों में जाकर बिहार के लोग अपमानित होते हैं.'

वहीं किसानों और युवाओं को लेकर कुशवाहा ने कहा, 'राहुल गांधी ने हमेशा किसानों की बात की है. कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ कर दिया.' बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, 'नीतीश कुमार ने हमारी पार्टी को कमजोर करने का काम किया है. इतना ही नहीं नीतीश ने मुझे नीच कहकर भी अपमानित किया है. 2 फरवरी को पटना में हम आंदोलन करेंगे. शिक्षा में सुधार हमारी पहली मांग होगी.'

बता दें कि साल 2014 में उपेंद्र कुशवाहा एनडीए का हिस्सा बने थे और पीएम मोदी की लहर में दो सीट लानें में कामयाब रहे थे. साल 2015 में नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होने के बाद उनका क़द अचानक से बढ़ गया था हालांकि नीतीश की वापसी के बाद एक बार फिर से लगभग उन्हें नज़रअंदाज किया गया.

नीतीश बिहार में बीजेपी का मज़बूत सहयोगी नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू (पहले समता पार्टी) और बीजेपी का गठबंधन काफी पुराना रहा है. 1995 बिहार चुनाव में लालू यादव की पार्टी से हारने के बाद साल 1996 में जॉर्ज फर्नाडींस के नेतृत्व में समता पार्टी बीजेपी के साथ गठबंधन में शामिल हुई. जो जेडीयू बनने के बाद भी साल 2015 बिहार चुनाव तक बीजेपी के साथ शामिल रही.

हालांकि दोबारा से 2017 में एक बार फिर से नीतीश एनडीए गठबंधन का हिस्सा बने तो पहले से शामिल कुशवाहा की स्थिति कमज़ोर होने लगी. कुशवाहा की मांग थी की '2019 लोकसभा चुनाव में उन्हें 3 से अधिक सीट दी जाए क्योंकि उनकी स्थिति पहले से मज़बूत हुई है. गौरतलब है कि 2014 लोकसभा चुनाव में रालोसपा तीन सीट पर चुनाव लड़ी थी.'

नीतीश की नाराज़गी की वजह से कुशवाहा की हुई अनेदखी

उपेंद्र कुशवाहा ने बार-बार नीतीश कुमार पर आरोप लगया है कि वो उन्हें अपमानित करते थे, नीतीश की वजह से ही उसकी एनडीए में अनदेखी की गई. हालांकि तथ्यों पर भी ध्यान दें तो नीतीश की वापसी के बाद से कुशवाहा पर बीजेपी ने ज़्यादा ध्यान नहीं दिया है. यही वजह है कि बार बार सीटों को लेकर उनकी अनदेखी की गई.

2015 विधानसभा चुनावों के नतीज़ों पर भी ध्यान दें तो पाएंगे कि कुल 23 सीटों मे से कुशवाहा की पार्टी को महज़ दो सीटों पर ही विजय मिल पाई थी. बीजेपी जानती है कि नीतीश बिहार की राजनीति में एक बड़ा नाम है. इसलिए वो कुशवाहा के लिए नीतीश की नाराज़गी मोल नहीं ले सकते.

कांग्रेस के लिए कुशवाहा कितने मददगार

यह कह पाना काफी मुश्किल है कि उपेंद्र कुशवाहा के आने से कांग्रेस को बहुत ज़्यादा फ़ायदा मिल पाएगा? कम से कम आकंड़े तो यही कहते हैं. 2014 लोकसभा चुनाव में वोट शेयरिंग प्रतिशत पर एक नज़र डालते हैं.- राजद -20.10, कांग्रेस- 8.40, रालोसपा- 3.00, हम 2.3, बीजेपी- 29.40, जेडीयू- 15.80, लोजपा- 6.40

यूपीए महागठबंधन- राजद -20.10, कांग्रेस- 8.40, रालोसपा- 3.00, हम 2.3 = 33.8 प्रतिशत वोट शेयरिंग
एनडीए- बीजेपी- 29.40, जेडीयू- 15.80, लोजपा- 6.40= 51.6 प्रतिशत वोट शेयरिंग

आंकड़ों से तो यही लगता है कि रालोसपा के शामिल होने से कांग्रेस महागठबंधन को बहुत ज़्यादा फ़ायदा नहीं मिलेगा.

और पढ़ें- रामविलास पासवान की यह 'आदत' बीजेपी को कहीं मुश्किल में ना डाल दे

हालांकि अब परिस्थितियां बदल रही है और कांग्रेस ख़ुद को पहले से ज़्यादा मज़बूत स्थिति में पा रही है. ऐसे में भविष्य संबंधी कोई अनुमान लगाना बेईमानी होगी.

Source : News Nation Bureau

Bihar BJP congress Samajwadi Party Uttar Pradesh grand alliance Bahujan Samaj Party Loksabha Elections 2019
      
Advertisment