पिछले हफ्ते राजस्थान विधानसभा में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार द्वारा पारित स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में डॉक्टरों ने सोमवार को विशाल रैली निकाली, जिसके कारण शहर भर में चिकित्सा सेवाएं प्रभावित रहीं।
स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक के प्रावधानों के अनुसार, राज्य के प्रत्येक निवासी को चुनिंदा निजी सुविधाओं पर मुफ्त में समान स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त करने के अलावा सभी सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं में बाह्य रोगी विभाग सेवाओं और रोगी विभाग सेवाओं का लाभ उठाने का अधिकार मिलता है।
विधेयक को वापस लेने की मांग को लेकर डॉक्टरों के एक वर्ग के आंदोलन के अलावा विपक्षी भाजपा के विरोध के बावजूद विधेयक को पिछले सप्ताह पारित किया गया था। सोमवार को सुबह करीब 11 बजे एसएमएस मेडिकल कॉलेज से डॉक्टरों ने पैदल मार्च निकाला। रैली शहर के कई इलाकों से होते हुए 4.5 किलोमीटर की दूरी तय कर मेडिकल कॉलेज तक पहुंची।
इससे पहले रविवार को डॉक्टरों के प्रतिनिधिमंडल की मुख्य सचिव उषा शर्मा के साथ बैठक हुई थी, लेकिन यह बिना किसी निष्कर्ष के समाप्त हो गई। इस बीच, लोग चिकित्सा सेवाओं की तलाश के लिए दर-दर भटकते रहे। जयपुर और राज्य के अन्य शहरों में सरकारी मेडिकल कॉलेजों से जुड़े अस्पतालों में रेजिडेंट डॉक्टर अभी भी हड़ताल पर हैं।
रेजिडेंट डॉक्टरों के 7 दिनों से अधिक समय से हड़ताल पर रहने के कारण जयपुर के एसएमएस और अन्य अस्पतालों में मरीजों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच स्वास्थ्य विभाग ने सभी जिलों से अस्पतालों के संचालन की स्थिति की जानकारी मांगी है। जयपुर पुलिस आयुक्तालय ने भी क्षेत्र में चल रहे अस्पतालों के बारे में इसी तरह का विवरण मांगा है।
इसके अलावा स्वास्थ्य के अधिकार विधेयक के विरोध में सड़कों पर उतरे डॉक्टरों को कार्रवाई का डर सताने लगा है। आशंका है कि पुलिस केस के जरिए सरकार उन्हें परेशान कर सकती है। निजी हॉस्पिटल एंड नसिर्ंग सोसायटी के सचिव डॉ. विजय कपूर ने कहा कि सरकार को डॉक्टरों के आंदोलन का समर्थन कर रहे रेजिडेंट डॉक्टरों और अन्य डॉक्टरों पर किसी तरह का दबाव नहीं बनाना चाहिए।
उन्होंने कहा, अगर सरकार इन डॉक्टरों के खिलाफ कोई कार्रवाई करती है, तो विरोध और तेज होगा।
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Source : IANS