पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने दोआबा को शहीदों का गढ़ बताते हुए बुधवार को कहा कि यह क्षेत्र ब्रिटिश साम्राज्यवाद के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम की अगुवाई करने वाले गदर और बब्बर आंदोलनों का केंद्र था।
यहां 73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर तिरंगा फहराने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने कई प्रतिष्ठित क्रांतिकारियों द्वारा स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान किए गए अनगिनत बलिदानों को याद किया।
चन्नी ने कहा, इन स्वतंत्रता सेनानियों ने निरक्षरता, बेरोजगारी, सामाजिक, आर्थिक और कानूनी असमानता की विकृतियों से मुक्त भारत की कल्पना की थी। इस प्रकार, मैं जालंधर की पवित्र भूमि से देशभक्ति से ओत-प्रोत इन महान दिग्गजों के सम्मान में अपना सिर झुकाता हूं।
उन्होंने जोर देते हुए कहा कि पंजाबियों ने विदेशी ताकतों को हटाने की लड़ाई में सबसे अधिक बलिदान दिया है।
इसी तरह, मुख्यमंत्री ने आजादी के बाद देश के समग्र विकास के लिए पंजाबियों, विशेष रूप से किसानों द्वारा की गई सेवा की ओर भी इशारा किया। उन्होंने देश को खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राष्ट्रीय खाद्य कटोरे में 60 प्रतिशत से अधिक का योगदान करने वाले राज्य के किसानों को सराहा।
संविधान का मसौदा तैयार करने में डॉ. भीम राव अंबेडकर द्वारा किए गए असाधारण योगदान को याद करते हुए चन्नी ने कहा, हमारे जैसे विविध देश के लिए संविधान तैयार करना एक बहुत बड़ा काम था, लेकिन बाबा साहब ने कड़ी मेहनत की और विशाल कार्य को पूरा किया।
उन्होंने लोगों से देश की निर्बाध विकास यात्रा सुनिश्चित करने में कोई कसर नहीं छोड़ने का आह्वान करते हुए राज्य में सांप्रदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखने का आश्वासन दिया।
इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने परेड का निरीक्षण किया और आईपीएस अधिकारी जसरूप कौर बाथ और डीएसपी सतबीर सिंह के नेतृत्व में मार्च पास्ट से सलामी ली।
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Source : IANS