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स्‍टालिन ने पीएम मोदी से की कपास पर आयात शुल्क खत्‍म करने की मांग

स्‍टालिन ने पीएम मोदी से की कपास पर आयात शुल्क खत्‍म करने की मांग

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IANS
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DMK Preident,

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

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तमिलनाडु के मुख्‍यमंत्री एम.के.स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कपास पर आयात शुल्क को खत्म करने, अपशिष्ट कपास के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) के पुनर्गठन में एमएसएमई के नेतृत्व वाले कताई क्षेत्र की मदद की मांग की है।

स्टालिन ने मोदी को लिखे पत्र में कहा कि कपास की ऊंची कीमतें, परिचालन लागत और घरेलू/अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में खराब मांग ने कताई क्षेत्र को संकट में डाल दिया है और उद्योग संघ ने 15 जुलाई से उत्पादन बंद करने की घोषणा की है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ईसीएलजीएस का पुनर्भुगतान शुरू हो गया है, इससे कताई मिलों पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है और उनकी उत्पादन लागत बढ़ रही है।

स्टालिन ने कहा, भारत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके प्रतिस्पर्धियों के बीच एक और महत्वपूर्ण मूल्य अंतर भारत में कपास पर लगाया गया 11 प्रतिशत आयात शुल्क है।

स्टालिन ने मोदी से अनुरोध किया कि केंद्र सरकार स्थगन को एक और वर्ष बढ़ाकर ईसीएलजीएस के तहत कपड़ा क्षेत्र में एमएसएमई के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करे।

स्टालिन ने कहा कि ईसीएलजीएस के तहत मौजूदा ऋणों को पुनर्गठित किया जा सकता है, उन्हें छह साल की अवधि के ऋण में परिवर्तित किया जा सकता है, और नियमित बैंकिंग ब्याज दर को कम करते हुए ईसीएलजीएस के तहत नए ऋण प्रदान किए जा सकते हैं।

स्टालिन ने यह भी कहा कि केंद्र सरकार को ओपन-एंड स्पिनरों की कमी से निपटने के लिए अस्थायी रूप से अपशिष्ट कपास के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना चाहिए, जो सूक्ष्म उद्यमों की श्रेणी में आते हैं, लेकिन देश के यार्न उत्पादन में 35 प्रतिशत का योगदान करते हैं, जो मुख्य रूप से लो इंड कपड़े में उपयोग किया जाता है।

उन्होंने केंद्र सरकार से कपास पर 11 फीसदी आयात शुल्क वापस लेने का भी आग्रह किया।

स्टालिन के अनुसार, 1,500 कताई मिलों और लगभग 15,00,000 कर्मचारियों के साथ, कताई क्षेत्र तमिलनाडु की औद्योगिक अर्थव्यवस्था के महत्वपूर्ण इंजनों में से एक है।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

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