अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता और तमिलनाडु के पूर्व मत्स्य पालन मंत्री डी. जयकुमार एक अन्य मामले में मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा सशर्त जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर आ जाएंगे।
जयकुमार को पहले दो अन्य मामलों में जमानत दी गई थी, लेकिन तीसरे मामले में जमानत नहीं मिलने के कारण वह जेल से बाहर नहीं निकल सके। मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश द्वारा उन्हें तीसरे मामले में भी जमानत देने के साथ, पूर्व मंत्री शुक्रवार को ही जेल से बाहर आ जाएंगे।
मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जगदीश चंद्र ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी कि उन्हें अगले दो सप्ताह तक तिरुचि में रहना होगा और छावनी पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करनी होगी।
अदालत ने आदेश में कहा कि फर्जी वोट डालने की कोशिश कर रहे डीएमके कार्यकर्ता पर हमले से जुड़े मामले में उन्हें पुलिस के सामने पेश होना है। डीएमके कार्यकर्ता को डी. जयकुमार ने रंगे हाथों पकड़ लिया और शहर में अर्धनग्न परेड करने के लिए मजबूर किया। न्यायाधीश ने जयकुमार को एक अन्य मामले में चेन्नई पुलिस के समक्ष पेश होने का भी आदेश दिया।
पूर्व मंत्री को पहले मामले में 20 फरवरी को द्रमुक कार्यकर्ता को शर्ट उतारने के लिए मजबूर करने और फिर परेड कराने के मामले में गिरफ्तार किया गया था।
इसके बाद पूर्व मंत्री के खिलाफ दो और मामले दर्ज किए गए- एक सड़क नाकाबंदी में और दूसरा संपत्ति विवाद के मामले में। तीसरा मामला जिसमें पूर्व मंत्री को जमानत मिली, वह उनके दामाद नवीन कुमार और उनके भाई मगेश कुमार के बीच पारिवारिक संपत्ति विवाद को लेकर था।
पूर्व मंत्री ने अपने तर्क में कहा कि उनके दामाद और भाई के बीच संपत्ति विवाद 2016 में और फिर 2020 में हुआ। मद्रास उच्च न्यायालय के समक्ष दलील में जयकुमार के वकील ने कहा कि पुलिस ने केवल पूर्व मंत्री के खिलाफ कार्रवाई की थी और प्राथमिकी दर्ज करने में भारी देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं था।
जयकुमार ने प्रधान सत्र अदालत, चेंगलपट्टू द्वारा उनकी जमानत अर्जी खारिज करने के बाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। पूर्व मंत्री ने अदालत को सूचित किया कि वह कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और उनके खिलाफ प्रथम ²ष्टया कोई मामला नहीं है। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी की सामग्री दीवानी प्रकृति की थी लेकिन इसे आपराधिक रंग दिया गया है।
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Source : IANS