Dhanteras 2018 : इस मुहूर्त में करेंगे पूजा तो घर में होगी सुख समृद्धि की वर्षा
हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है.
नई दिल्ली:
आज देशभर में धनतेरस (Dhanteras) का त्योहार मनाया जा रहा है. वहीं दिवाली (Diwali) का पर्व 7 नवंबर, बुधवार को मनाया जाएगा. दिवाली से दो दिन पहले धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक मास की तेरस यानी कि 13वें दिन धनतेरस मनाया जाता है. इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विधान है. इस दिन सोने-चांदी के आभूषण और बर्तन खरीदना शुभ माना जाता है. लोग नई गाड़ियां भी इसी दिन खरीदना पसंद करते हैं. आइए जानते हैं इस बार धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त क्या है.
धनतेरस की तिथि और शुभ मुहूर्त -
-त्रयोदशी तिथि आरंभ और समाप्त : 5 नवंबर सुबह 1:24 बजे से रात 11 : 46 बजे तक
-धनतेरस की पूजा मुहूर्त : 5 नवंबर शाम 6.30 बजे से रात 8: 17 मिनट तक है.
धनतेरस के दो दिन बाद आती है दिवाली. नियम के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन संध्या काल में स्थिर लग्न में दिवाली पूजन करना चाहिए. दिवाली के दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा होती है. इसके बाद पूरे घर को दीये से रोशन किया जाता है. दीपावली का पूजन प्रदोष काल और स्थिर लग्न में होता है. इस बार सिंह लग्न के समय अमावस्या का अभाव है. इस दिन स्वाति नछत्र सूर्योदय काल से लेकर 19.37 तक रहेगा तत्पश्चात विशाखा लग जायेगा.
यह भी पढ़ें: धनतेरस 2018: खरीदने जा रहे हैं सोना? पहले समझ लें कैसे करें शुद्धता की पहचान
आइए जानते हैं पूजा की मुहूर्त-
प्रदोष काल का समय- शाम 5.27 बजे से 8.05 बजे तक. इसमें स्थिर लग्न वृषभ भी मिल जाएगा. वृष और प्रदोष दोनों मिल जाने से ये दीपावली पूजन का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है.
गृहस्थों के लिए दिवाली पूजन के लिए यह सबसे उत्तम समय रहेगा. इस समय माता लक्ष्मी के साथ, गणेश, कुबेर और भगवान विष्णु एवं शिव के साथ माता काली एवं सरस्वती की पूजा से स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होगी.
वृष लग्न में व्यापारी करता हैं पूजा
दीपावली पूजन स्थिर लग्न वृष में भी किया जाता है. व्ययसाय से जुड़े लोग अपने प्रतिष्ठान में इसी समय पूजन करवाते हैं. वृष लग्न 5.14 बजे से 7.50 बजे तक रहेगा.
निशीथ काल
व्यापारी निशीथ काल में पूजा करते है. 8:11 बजे से 10:51 बजे तक पूजा कर सकते हैं.
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महानिशीथ काल
इस काल में तांत्रिक पूजा करते हैं. 11:14 बजे से 12: 6 बजे तक कर सकते हैं पूजा.
बता दें कि इस साल दिवाली पर चंद्रमा तुला राशि में होंगे, इस राशि में पहले से ही राशि के स्वामी शुक्र मौजूद हैं और इनके साथ सूर्य भी हैं. ऐसे में तुला राशि में सूर्य, शुक्र और चंद्रमा का त्रिग्रही योग बन रहा है जो बहुत ही शुभ संयोग है.
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