अन्य समुदायों के मुकाबले मुसलमानों में तलाक की दर कम: AIMPLB

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग ने कानून में किसी भी सुधार का विरोध करते हुए, आज तलाक दर पर अपनी रिपोर्ट दी। रिपोर्ट मे दावा किया गया है कि अन्य समुदायों की तुलना में मुसलमानों मे तलाक़ की दर कम है और मीडीया रिपोर्ट्स मे तीन तलाक़ के मुद्दे को ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है।

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला विंग ने कानून में किसी भी सुधार का विरोध करते हुए, आज तलाक दर पर अपनी रिपोर्ट दी। रिपोर्ट मे दावा किया गया है कि अन्य समुदायों की तुलना में मुसलमानों मे तलाक़ की दर कम है और मीडीया रिपोर्ट्स मे तीन तलाक़ के मुद्दे को ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है।

author-image
vineet kumar1
एडिट
New Update
अन्य समुदायों के मुकाबले मुसलमानों में तलाक की दर कम: AIMPLB

तलाक़ मुस्लिमों मे कम दूसरे धर्मों मे ज़्यादा

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) की महिला विंग ने शरिया कानून में किसी भी सुधार का विरोध करते हुए तलाक की दर को लेकर रिपोर्ट पेश की है। रिपोर्ट के मुताबिक अन्य समुदायों की तुलना में मुसलमानों मे तलाक़ की दर कम है और मीडिया रिपोर्ट्स में तीन तलाक़ के मुद्दे को ग़लत तरीके से पेश किया जा रहा है।

Advertisment

महिलाओं के एक समूह ने कहा, 'मुसलमानों के बीच अपनी आबादी के बीच तलाक का अनुपात किसी भी अन्य धार्मिक समुदाय से कम है। कुछ महिलाएं मीडिया के माध्यम से सुझाव देने की कोशिश कर रही हैं कि सभी मुस्लिम महिलाएं निजी कानूनों में बदलाव चाहती हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। समुदाय में अधिकांश महिलाएं कानून में कोई सुधार नहीं चाहती हैं।'

अयोध्या विवाद पर उमा भारती ने कहा, राम मंदिर के लिए जेल जाने और फांसी लटकने तक को तैयार

पूरे देश के कुछ मुस्लिम केंद्रित जिलों के फैमिली कोर्ट में इकट्ठा किए गए आंकड़ों को साझा करते हुए विंग की मुख्य संयोजक असम झोरा ने कहा कि महिलाओं को इस्लाम के तहत अच्छी तरह से संरक्षित किया जाता है, जो तलाक के लिए मुस्लिम महिलाओं की कम प्रतिशत को दिखाता होता है।

असम झोरा ने बताया कि इन आंकड़ों को एकत्र करने की शुरुआत पिछले साल मई में शुरू हुई थी। जिसके तहत 2011 से 2015 पांच साल तक मुस्लिम केंद्रित जिलों के पारिवारिक अदालतों में आरटीआई के जरिये यह आंकड़े एकत्रित किए गये।

आख़िर क्यूं नरेंद्र मोदी और शेख़ हसीना पूरे 2 मिनट तक हंसते रह गये

मुस्लिम महिला अनुसंधान केंद्र और मुसलमानों की शरीयत समिति के संयुक्त प्रयास द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के मुताबिक, जहां मुसलमान समुदाय के तलाक के मामलों की संख्या 1,307 थी तो वहीं हिंदू समुदाय में यह संख्या 16,505 थी। इन जिलों में ईसाई समुदाय के 4,827 तो सिक्ख समुदाय के 8 मामले शामिल थे।

यह आंकड़े कन्नूर (केरल), नासिक (महाराष्ट्र), करीमनगर (तेलंगाना), गुंटूर (आंध्र प्रदेश), सिकंदराबाद (हैदराबाद), मलप्पुरम (केरल), एरनाकुलम (केरल) और पलक्कड़ (केरल) के आठ जिलों से एकत्रित किए गये हैं।

राजनीतिक दलों के घोषणापत्र महज कागजी दस्तावेज, कानून बनाकर जवाबदेही तय करने की जरूरत: CJI

Source : News State Beureau

Religion Hindi muslim Divorce survey reports
      
Advertisment