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ट्रिपल तलाक बिल पर लोकसभा में गर्मागर्म बहस, कांग्रेस का जोरदार हंगामा

सरकार और विपक्ष पिछले हफ्ते मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक 2018 पर चर्चा पर सहमत हुए थे, जिसे विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और उनके पतियों द्वारा 'तलाक' बोलकर तलाक लेने पर रोक लगाने वाले पहले के जारी अध्यादेश से बदला जाएगा.

Updated on: 27 Dec 2018, 02:21 PM

नई दिल्ली:

क्रिसमस की छुट्टियों के बाद संसद के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही गुरुवार को दोबारा शुरू हुई और मोदी सरकार के बहु प्रतिक्षित ट्रिपल तलाक बिल पर गर्मागर्म बहस चल रही है. लोकसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के भाषण के सरकार की तरफ से बिल पेश करने वाले केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने अपनी बात रखी और आग्रह किया कि महिलाओं के साथ न्याय के लिए इस पर विपक्ष साथ दे.

केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि पूरे मामले को इंसानियत के तराजू से देखा जाए सियासत की नजर से नहीं. उन्होंने कहा कि विपक्ष ने जो सुझाव दिए हम बदलने के तैयार रहे. लेकिन महिलाओं को न्याय देना चाहिए. तीन तलाक से पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना ही चाहिए. नारी सम्मान नारी गरिमा के लिए सदन को एकमत होना चाहिए.

हालांकि इसी बीच राफेल मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने एक बार फिर जेपीसी बनाने की मांग की जिसके बाद जोरदार हंगामा के कारण स्पीकर सुमित्रा महाजन को सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. AIADMK ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे का जहां विरोध किया हैं वहीं धर्म के मामले की वजह से कांग्रेस इसमें बदलाव की मांग कर रही है.


बीजेपी और कांग्रेस ने लोकसभा के अपने सदस्यों को व्हिप जारी किया है और चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने के लिए कहा है. सरकार और विपक्ष पिछले हफ्ते मुस्लिम महिला (विवाह संरक्षण अधिकार) विधेयक 2018 पर चर्चा पर सहमत हुए थे, जिसे विवाहित मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों और उनके पतियों द्वारा 'तलाक' बोलकर तलाक लेने पर रोक लगाने वाले पहले के जारी अध्यादेश से बदला जाएगा.

अध्यादेश सितंबर में लाया गया था, जिसके अंतर्गत त्वरित तीन तलाक को भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध माना गया था.

सरकार इस विधेयक को पिछले हफ्ते पास कराना चाहती थी, लेकिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियों द्वारा राफेल सौदे पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच समेत अन्य मांगों की वजह से यह नहीं हो सका.

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकाजुर्न खड़गे ने सलाह देते हुए कहा था कि इस विधेयक को क्रिसमस अवकाश के बाद लाया जाए और चर्चा में अपने पार्टी सदस्यों के भाग लेने का आश्वासन दिया था.

विधेयक को 17 दिसम्बर को हंगामे के बीच केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया था.

सरकार इस विधेयक को पारित करवाना चाहती है क्योंकि यह अप्रैल-मई 2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले अंतिम पूर्णकालिक संसदीय सत्र है.

इसके साथ ही सरकार दो अध्यादेशों भारतीय मेडिकल परिषद (संशोधन) अध्यादेश और कंपनी संशोधन अध्यादेश के स्थान पर विधेयक लाना चाहती है.

मौजूद सत्र के 11 दिसम्बर से शुरू होने के बाद लोकसभा में चार विधेयक पारित हुए हैं. ये विधेयक उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018, सेरोगेसी (विनियमन) विधेयक 2016, ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) विधेयक 2016 और ऑटिज्म, सेरेब्रल पाल्सी, मानसिक मंदता और विविध दिव्यांगता के शिकार व्यक्तियों के कल्याण के लिए राष्ट्रीय ट्रस्ट (संशोधन) विधेयक 2018 हैं.

लोकसभा में जहां हंगामे और नारेबाजी के बीच चार विधेयक पारित हो पाया, वहीं राज्यसभा में विपक्षी पार्टियों के जोरदार हंगामे के बीच सदन बार-बार स्थगित होने से कोई बड़ा काम नहीं हो पाया.

कांग्रेस 36 राफेल विमान सौदे के संबंध में जेपीसी जांच की मांग कर रही है, अन्नाद्रमुक के सदस्य मेकादातु में कावेरी नदी पर बांध बनाने के प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं. तेलुगू देशम पार्टी आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग कर रही है.

बीजेपी की गठबंधन सहयोगी शिवसेना भी अयोध्या में राममंदिर के निर्माण में देरी को लेकर प्रदर्शन कर रही हैं. 

लोकसभा में राफेल सौदे पर विशेषाधिकार के दो नोटिस लाए गए. एक कांग्रेस सदस्य के.सी. वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ और दूसरा अनुराग ठाकुर समेत कुछ बीजेपी सदस्यों द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के विरुद्ध लाया गया है.

ये नोटिस स्पीकर सुमित्रा महाजन के पास विचाराधीन हैं.

सदन में लगातार व्यवधान के बीच, महाजन ने पिछले हफ्ते सदन के नेताओं की बैठक बुलाई थी.

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चिंतित महाजन ने तब नियम समिति (रूल्स कमिटी) की बैठक बुलाई थी और सांसदों को स्पीकर के पोडियम के पास और सदन में तख्तियां लहराने को रोकने के तरीकों पर विचार-विमर्श किया था.