मध्य प्रदेश के सागर जिले की सुरखी विधानसभा क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक दलितों के मकान वन विभाग द्वारा गिराए जाने के मामले ने सियासत गरमा दी है। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जहां इस मामले पर आक्रामक हैं। वहीं, भाजपा-कांग्रेस व पूर्व मुख्यमंत्री एक-दूसरे को घेर रहें हैं। इस मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा प्रमुख मायावती की भी एंट्री हो गई है।
बसपा प्रमुख मायावती ने ट्वीट कर राज्य सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि मध्य प्रदेश सरकार की विध्वंसकारी द्वेषपूर्ण बुलडोजर राजनीति लोगों के घर व स्कूल तोड़ते-तोड़ते अब पीएम आवास योजना के अन्तर्गत बने गरीबों के मकान भी तोड़ने लगी है, जो अति-निन्दनीय। इसी क्रम में सागर जिले में पीएम योजना के तहत बने सात दलित परिवारों के घरों का ध्वंस शर्मनाक।
दरअसल, सागर जिले की सुरखी विधानसभा क्षेत्र से शिवराज सिंह चौहान सरकार के मंत्री गोविंद राजपूत विधायक हैं, उनकी गिनती केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सबसे करीबियों में होती है। सुरखी विधानसभा क्षेत्र के रैपुरा में सात दलित परिवारों ने वन विभाग की जमीन पर आवास बनाए। यह आवास प्रधानमंत्री योजना के तहत बनाए गए। बीते दिनों वन विभाग ने अतिक्रमण हटाओ अभियान के तहत इन मकानों को बेजा कब्जा करार देते हुए बुलडोजर चला दिया।
रैपुरा के मकान गिराए जाने का मामला सियासी रूप ले रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह गांव में पहुंचे और उन्होंने दलितों से बातचीत की। इतना ही नहीं इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री अघोषित तौर पर धरने पर ही बैठ गए। जब प्रशासनिक अमला आया और कलेक्टर दीपक सिंह ने लिखित में यह आश्वासन दिया कि पीड़ितों को मकान बनाकर दिए जाएंगे, जमीन उपलब्ध कराई जाएगी और जब तक इनके मकान नहीं बन जाते तब तक प्रशासन उनकी सभी जरूरतों को पूरा करेगा। इतना ही नहीं अतिक्रमण हटाने वाले अधिकारी पर अनुसूचित जाति अधिनियम के तहत मामला दर्ज करने की दिग्विजय सिंह की ओर से मांग की गई।
इस मामले पर दिग्विजय सिंह के खिलाफ गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने तंज कसा और कहा कि दिग्विजय सिंह राजनीतिक रोटियां सेंकने का काम करते हैं, जिन लोगों के मकान टूटे हैं, उनको दूसरे मकान बनाकर देने का काम चल रहा है। कांग्रेस को 15 महीने में जनता आजमा चुकी है। वे कुछ भी कर लें, अब कुछ होने वाला नहीं है।
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Source : IANS