क्या उपद्रवियों ने लाल किले में तिरंगे को हटा लगाया था खालिस्तानी झंडा, ये है पूरा सच
दिल्ली में दंगाई किसानों ने जमकर उत्पात मचाया. मगर हद तो तब हो गई जबकि ट्रैक्टरों पर सवार लोग लालकिला पहुंच गए और परिसर के अंदर घुसकर लाल किले की प्राचीर पर झंडा लगा दिया.
नई दिल्ली:
72वें गणतंत्र दिवस के मौके राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली उपद्रवी किसानों की हिंसा से हिल गई. मंगलवार को पूरा देश 72वें गणतंत्र दिवस के जश्न मना रहा था. एक तरफ दिल्ली में राजपथ पर गणतंत्र के जश्न का मुख्य समारोह चल रहा था तो दूसरी तरफ राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं से किसानों की ट्रैक्टर परेड निकली थी. तय रूट और नियमों को तोड़ते हुए किसान दिल्ली के अंदर घुस गए. किसान की परेड बेकाबू हो चुकी थी. दिल्ली में किसानों और पुलिसकर्मियों के बीच झड़पों की खबरें आने लगीं थीं. दोपहर में दिल्ली में दंगाई किसानों ने जमकर उत्पात मचाया. मगर हद तो तब हो गई जबकि ट्रैक्टरों पर सवार लोग लालकिला पहुंच गए और परिसर के अंदर घुसकर लाल किले की प्राचीर पर झंडा लगा दिया.
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दिल्ली के अलग अलग इलाकों के होते हुए और पुलिसवालों को ट्रैक्टरों से रौंदने की कोशिश करते हुए प्रदर्शनकारी किसान लाल किले में घुस गए. राष्ट्रीय राजधानी स्थित इस ऐतिहासिक स्मारक के कुछ गुंबदों पर झंडे लगा दिए. उपद्रवी उस ध्वज-स्तंभ पर अपना झंडा लगाते दिखे जहां से प्रधानमंत्री 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं. उन्होंने लालकिले के कुछ गुंबदों पर भी अपने झंडे लगा दिए. लेकिन इसके कुछ समय बाद ही सोशल मीडिया पर बहसें शुरू हो गईं. सोशल मीडिया पर लोग लाल किले की प्रचार पर किसानों द्वारा झंडा फहराने को लेकर अलग अलग बातें करने लग गए.
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सोशल मीडिया पर लोगों की तरफ से भारत के लिए इसे काला दिन बताते हुए दावा जाने लगा कि लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराया गया है. कुछ लोगों ने यहां तक दावा किया कि लालकिले की प्रचार से भारतीय तिरंगा को हटाकर इसकी वजह किसानों ने अपना झंडा फहराया. लोगों ने सोशल मीडिया पर झंडे को लेकर कुछ और भी दावे किए. ऐसे में क्या वाकई लाल किले की प्राचीर पर, जहां हर साल स्वतंत्रता दिवस पर देश के प्रधानमंत्री झंडा फहराते हैं, वहां लोगों ने वहां तिरंगे को हटाकर खालिस्तानी झंडा लगाया तो इसका जवाब हम आपको दे देते हैं. कल भले ही गणतंत्र दिवस के मौके पर शर्मनाक घटना हुई, मगर लाल किला पर तिरंगे झंडे की जगह खालिस्तानी झंडे का दावा बिल्कुल ही गलत है.
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हां, उपद्रवी किसानों ने लाल किले की प्राचीर पर दूसरा झंडा जरूर लगाया था, मगर वह खालिस्तानी झंडा नहीं, बल्कि सिखों का धार्मिक झंडा निशान साहिब था. इसके अलावा यह दावा कि तिरंगे को वहां से हटाया गया, ये भी गलत है. न्यूज एजेंसी एएनआई का लाल किले की घटना पर वीडियो सामने आया था. जिसमें देखा जा रहा है कि एक व्यक्ति एक पोल पर चढ़कर झंडा फहराता दिखा. हालांकि इस फ्लैग पर घटना के वक्त तिरंगा झंडा नहीं था. वीडियो में वह व्यक्ति सिर्फ निशान साहिब का झंडा लगाते दिखा. लाल किले पर किसानों के बवाल के दौरान न्यूज नेशन की टीम भी मौजूद थीं. जिन्होंने पुष्टि की प्रदर्शनकारियों ने तिरंगे को नहीं हटाया, न ही खालिस्तानी झंडा लगाया. जबकि सही ये है कि उपद्रवियों ने निशान साहिब का झंडा फहराया था.
#WATCH A protestor hoists a flag from the ramparts of the Red Fort in Delhi#FarmLaws #RepublicDay pic.twitter.com/Mn6oeGLrxJ
— ANI (@ANI) January 26, 2021
आपको बता दें कि सिखों के धार्मिक झंडे निशान साहिब में प्रतीक चिन्ह के रूप में 'खंडा' (दोधारी तलवार) और एक चक्र होता है. सिख धर्म में यह प्रतीक चिन्ह गुरु गोबिंद सिंह के समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है. जबकि खालिस्तानी झंडे पर प्रतीक चिन्ह के रूप में 'खंडा' के साथ ‘खालिस्तान’ लिखा होता है. हालांकि खालिस्तान के समर्थक जो झंडा इस्तेमाल करते हैं, उसमें ‘खंडा’ हो भी सकता है और नहीं भी हो सकता है.
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