एनजीटी ने जलपाईगुड़ी के डीएम को चेल नदी रेंज के साथ अवैध बोल्डर खनन की जांच करने का निर्देश दिया

एनजीटी ने जलपाईगुड़ी के डीएम को चेल नदी रेंज के साथ अवैध बोल्डर खनन की जांच करने का निर्देश दिया

एनजीटी ने जलपाईगुड़ी के डीएम को चेल नदी रेंज के साथ अवैध बोल्डर खनन की जांच करने का निर्देश दिया

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IANS
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(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने जिला मजिस्ट्रेट, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल को आवश्यक सहमति के बिना जिले में चेल नदी रेंज से अवैध बोल्डर खनन और परिवहन को देखने का निर्देश दिया है, जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में वायु और ध्वनि प्रदूषण होता है।

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एनजीटी के अनुसार, जलपाईगुड़ी जिले के मालबाजार उपमंडल के मनाबाड़ी बस्टी गांव में चेल नदी रेंज के साथ पर्यावरण उल्लंघन की विभिन्न तस्वीरें संलग्न करने वाले एक आवेदक द्वारा ग्रीन कोर्ट के समक्ष शिकायत दर्ज की गई है।

एनजीटी ने 7 जनवरी को एक आदेश में कहा, उपरोक्त के मद्देनजर, हम जिला मजिस्ट्रेट, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल को मामले को देखने और कानून के अनुसार उपचारात्मक कार्रवाई करने का निर्देश देते हैं।

उप-हिमालयी क्षेत्र भी दक्षिण-पश्चिम मानसून की चपेट में है, जो इस क्षेत्र में अधिकतर जोरदार है। पिछले साल सितंबर में, एनजीटी ने पश्चिम बंगाल सरकार पर तीन नदियों- महानंदा, जोरापानी और फुलेश्वरी के पानी की गुणवत्ता की बहाली के लिए उपयोग किए जाने वाले अंतरिम मुआवजे के रूप में दो करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था।

याचिकाकर्ताओं ने 2016 में तीनों नदियों में प्रदूषण की शिकायत को हरित न्यायाधिकरण में ले जाने का फैसला किया था। 20 सितंबर को सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल ने बताया कि उसने इस विषय पर लगभग एक दर्जन आदेश पारित किए थे, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई है।

ट्रिब्यूनल ने कहा कि विस्तृत परियोजना रिपोर्ट से पता चला है कि जल प्रदूषण से निपटने के लिए तीन सीवेज उपचार संयंत्र आवश्यक हैं, लेकिन भूमि के मुद्दों ने उसी की योजना को खतरे में डाल दिया है।

इससे पहले इसी पीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को सिलीगुड़ी में तीन नदियों के प्रदूषण स्तर की व्यक्तिगत रूप से जांच करने और उपचारात्मक उपाय करने का निर्देश दिया था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

      
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