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India: The Mother of Democracy पुस्तक पीएम मोदी को की गई भेंट

Dharmendra Pradhan presents book India: The Mother of Democracy to PM Modi: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था सदियों से विकसित हुई है. लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सदियों से विकसित होने की जानकारी देने वाली...

Updated on: 23 Dec 2022, 11:52 PM

highlights

  • पीएम मोदी को भेंट की गई पुस्तक
  • इंडिया: द मदर ऑफ डेमोक्रेसी
  • धर्मेंद्र प्रधान ने भेंट की पुस्तक

नई दिल्ली:

Dharmendra Pradhan presents book India: The Mother of Democracy to PM Modi: केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय का मानना है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था सदियों से विकसित हुई है. लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के सदियों से विकसित होने की जानकारी देने वाली एक पुस्तक शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेंट की गई. केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इंडिया, द मदर ऑफ डेमोक्रेसी (India: The Mother of Democracy) नाम की यह पुस्तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की है. आईसीएचआर द्वारा तैयार और प्रकाशित इस पुस्तक में भारत में लोकतंत्र की उत्पत्ति का साक्ष्य आधारित लेखा-जोखा है. 

प्रजा-तंत्र, जन-तंत्र और लोक-तंत्र के बीच अंतर को रेखांकित करने वाली पुस्तक

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेंट की गई यह पुस्तक प्रजा-तंत्र, जन-तंत्र और लोक-तंत्र के बीच अंतर को रेखांकित करती है. इस पुस्तक में युगों-युगों से भारत में प्रचलित लोकतांत्रिक संस्थाओं के असंख्य उद्धरण हैं. यह प्रमाणित करता है कि भारत में लोकतांत्रिक व्यवस्था सदियों से विकसित हुई है. साथ ही, यह पुस्तक वैश्विक शिक्षा जगत का ध्यान इस ओर आकर्षित करने का एक प्रयास है कि कानून के लिए वैदिक शब्द धर्मन है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पुस्तक, इसे तैयार करने में की गई कड़ी मेहनत और आईसीएचआर के बौद्धिक प्रयास की सराहना की. उन्होंने आईसीएचआर के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव को उनके भविष्य के शैक्षणिक प्रयासों के लिए शुभकामनाएं दीं.

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लोकतांत्रिक भावना और मूल्य, सभ्यता की शुरूआत से ही रचे-बसे

केन्द्रीय शिक्षा मंत्री ने धर्मेंद्र प्रधान ने इस अवसर पर कहा कि भारत में लोकतांत्रिक भावना और मूल्य, सभ्यता की शुरूआत से ही रचे-बसे हैं. उन्होंने कहा कि आईसीएचआर द्वारा प्रकाशित यह पुस्तक भारतीय लोकतंत्र की उत्पत्ति और उसके आदशरें का साक्ष्य आधारित लेखा-जोखा है. इस पुस्तक में भारत की उन लोकतांत्रिक परंपराओं के बारे में चर्चा की गई है जिसने न सिर्फ भारतीय उपमहाद्वीप की नियति को बदल दिया बल्कि दुनिया भर के कई देशों को भी प्रेरित किया. भारत के राष्ट्रीय मूल्यों और हमारी प्राचीन संस्कृति में लोकतंत्र की गहरी जड़ें हैं, जो अलग और यहां तक कि असहमति के दृष्टिकोण के प्रति भी सम्मान सिखाती हैं. प्रधानमंत्री को यह पुस्तक भेंट करने के दौरान केंद्रीय शिक्षा मंत्री के साथ, शिक्षा राज्य मंत्रियों डॉ. राजकुमार रंजन सिंह और सुभाष सरकार की उपस्थिति रहे. आईसीएचआर के अध्यक्ष एवं सदस्य सचिव प्रोफेसर रघुवेंद्र तंवर और प्रोफेसर उमेश अशोक कदम भी इस अवसर पर उपस्थित थे.