शिक्षा मंत्रालय शिक्षा को अधिक किफायती बनाने और इसके व्यावसायीकरण को रोकने के लिए कई कदम उठा रहा है। इस संबंध में, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) ने अधिकतम ट्यूशन और विकास शुल्क के लिए राष्ट्रीय शुल्क समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों से इन सिफारिशों का पालन करने का अनुरोध किया गया है।
इन सिफारिशों को एआईसीटीई की अप्रूवल प्रोसेस हैंडबुक में भी शामिल किया गया है। छात्रों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए, शिक्षा मंत्रालय कॉलेजों और विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए छात्रवृत्ति की केंद्रीय क्षेत्र योजना (सीएसएसएस), जम्मू और कश्मीर के लिए विशेष छात्रवृत्ति योजना (जम्मू और कश्मीर के लिए एसएसएस) और केंद्रीय क्षेत्र ब्याज सब्सिडी योजना ( सीएसआईएस) है।
एआईसीटीई कई छात्रवृत्ति योजनाओं को भी लागू कर रहा है, जैसे स्नातकोत्तर (पीजी) छात्रवृत्ति, विशेष रूप से विकलांग छात्रों के लिए सक्षम छात्रवृत्ति योजना, छात्राओं के लिए प्रगति छात्रवृत्ति योजना, एआईसीटीई डॉक्टरेट फैलोशिप (एडीएफ), आदि।
इसके अलावा, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) विभिन्न योजनाओं के तहत छात्रवृत्ति भी प्रदान करता है, अर्थात ईशानउदय पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए विशेष छात्रवृत्ति योजना, पीजी यूनिवर्सिटी रैंक होल्डर्स के लिए छात्रवृत्ति, विज्ञान, मानविकी और सामाजिक विज्ञान में जूनियर रिसर्च फेलोशिप, बीएसआर फेलोशिप और एमेरिटस फेलोशिप आदि। यह जानकारी शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष सरकार ने बुधवार राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
वहीं विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पीएचडी दाखिले के लिए नए मानदंड तय किए हैं। यूजीसी के नए नियमों के मुताबिक पीएचडी में दाखिले के लिए नेट परीक्षा उत्तीर्ण करना जरूरी कर दिया गया है।
दरअसल नई शिक्षा नीति के अनुरूप यूजीसी उच्च शिक्षा में विशेष रूप से प्रवेश प्रक्रिया में नए बदलाव ला रहा है।
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Source : IANS