मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव में विरोधी कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को बड़ी जीत हासिल हुई है लेकिन ग्वालियर और जबलपुर की हार ने भाजपा की चिंता को बढ़ा भी दिया है। राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने है और उससे पहले पार्टी के सबसे मजबूत गढ़ माने जाने वाले ग्वालियर और जबलपुर में मिली हार ने पार्टी आलाकमान को चिंतित कर दिया है। मध्य प्रदेश नगरीय निकाय चुनाव की मतगणना के दिन ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वयं इन दोनों इलाकों से आने वाले केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और पार्टी के वरिष्ठ सासंद राकेश सिंह के साथ बैठक कर, हार के कारणों को जानने का प्रयास किया।
दरअसल , मध्य प्रदेश में हुए नगरीय निकाय चुनाव के पहले चरण में भाजपा को 11 नगर निगमों में सात पर जीत हासिल हुई है लेकिन ग्वालियर और जबलपुर नगर निगम में मिली हार ने भाजपा के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
ग्वालियर और जबलपुर, दोनों ही भाजपा के मजबूत गढ़ माने जाते रहे हैं। ग्वालियर में तो भाजपा के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की जडें भी बहुत गहरी रही है और वर्तमान केंद्र सरकार में इस इलाके से ताल्लुक रखने वाले दो कद्दावर नेता- नरेंद्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया मंत्री भी हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि इन दोनों नेताओं के बीच वर्चस्व को लेकर जारी टकराव और गुटबाजी के कारण भाजपा को ग्वालियर जैसे गढ में हार का सामना करना पड़ा है। जबलपुर में भी भाजपा हमेशा से ताकतवर रही है लेकिन इस बार उनकी हार की बड़ी वजह कमजोर और गैर-राजनीतिक व्यक्ति को उम्मीदवार बनाना माना जा रहा है।
यही वजह है कि नतीजों की घोषणा होने के बाद जहां एक तरफ भाजपा के आला नेता ट्वीट कर बड़ी जीत की बधाई और मध्य प्रदेश की जनता को धन्यवाद दे रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ रविवार को ही संसद भवन में राष्ट्रपति चुनाव के मॉक ड्रिल बैठक की गहमागहमी के बीच पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने स्वयं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और जबलपुर से लगातार चार बार लोक सभा का चुनाव जीतने वाले पार्टी के वरिष्ठ सासंद राकेश सिंह के साथ नतीजों के कारणों को लेकर चर्चा की।
सोमवार को संसद सत्र के पहले दिन चुनावी नतीजों पर मीडिया द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रदेश के 11 नगर निगमों में सात पर भाजपा को बड़ी जीत दिलाने के लिए प्रदेश की जनता को धन्यवाद दिया। ग्वालियर की हार के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सिंधिया ने स्वीकार किया कि एक-दो जगह कमी आई है और इसका पूरा विश्लेषण कर सुधार लाने का प्रयास किया जाएगा।
दरअसल, मध्य प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली भाजपा अगले वर्ष 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है। ग्वालियर और जबलपुर की हार ने भाजपा को एक बड़ा संकेत दे दिया है कि अगर उसे प्रदेश में कांग्रेस को रोकना है तो अपने नेताओं के बीच जारी टकराव, घमासान और गुटबाजी को खत्म करना ही होगा।
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Source : IANS