रविवार को सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना की अर्जी पर महाराष्ट्र सियासी ड्रामे पर भले ही अपना जो फैसला दे, लेकिन इतना साफ हो गया है कि विधानसभा में बहुमत का जादुई आंकड़ा हासिल करने की गणित में निर्दलीय और छोटी पार्टियों के विधायकों की अहम भूमिका साबित होने वाली है. एक लिहाज से कह सकते हैं कि दूसरी बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस का भविष्य इन विधायकों पर ही निर्भर है.
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13 निर्दलीय और 16 विधायक हैं छोटे दलों के
महाराष्ट्र विधानसभा में फिलवक्त 13 निर्दलीय और छोटे दलों से 16 विधायक चुन कर पहुंचे हैं. निर्दलीय विधायकों में से 11 पहले ही बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं. अब अगर छोटे दलों की बात करें तो बहुजन विकास अघाड़ी के 3, पीडब्ल्यूए, युवा स्वाभिमान पार्टी और जन स्वराज शक्ति के एक-एक विधायक हैं. ये सभी बीजेपी को समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं. इसके साथ ही चुनाव पूर्व गठबंधन के तहत बीजेपी का राष्ट्रीय समाज पक्ष के साथ समझौता हुआ था, जिसका एक विधायक है. हालांकि एआईएमआईएम समाजवादी पार्टी के दो-दो विधायक हैं और माकपा(माले) का एक विधायक है, जो बीजेपी को समर्थन नहीं करेंगे.
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एआईएमआईएम रहेगी तटस्थ
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि सदन में बहुमत साबित करने के दौरान निर्दलियों और छोटी पार्टियों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है. जो भी कोई सरकार बनाएगा उसे निर्दलियों पर निर्भर रहना पड़ेगा. एक-एक वोट की कीमत होगी. बीवीए एमएलए हितेंद्र ठाकुर भी मान कर चल रहे हैं कि सूबे में निर्दलीय और छोटी पर्टियां अहम भूमिका में आ गई हैं. समाजवादी पार्टी शिवसेना के पक्ष में वोट करेगी, क्योंकि उसे हर हाल में बीजेपी का विरोध करना है. इसी तर्ज पर एआईएमआईएम के दो विधायक भी तटस्थ भूमिका अपनाने वाले हैं.
HIGHLIGHTS
- 13 में से 11 निर्दलीय बीजेपी के समर्थन में.
- छोटे दलों के हैं 16 विधायक, जो बंटे हुए हैं.
- बहुमत के लिए इन्हें साधना है बहुत जरूरी.