Advertisment

प्रतिबंध के बावजूद श्रद्धालुओं ने किया यमुना में मूर्ति विसर्जन

प्रतिबंध के बावजूद श्रद्धालुओं ने किया यमुना में मूर्ति विसर्जन

author-image
IANS
New Update
Depite ban,

(source : IANS)( Photo Credit : (source : IANS))

Advertisment

राष्ट्रीय राजधानी में अन्य प्राकृतिक जल निकायों के साथ यमुना नदी में मूर्ति विसर्जन पर प्रतिबंध के बावजूद, कई दिल्लीवासियों ने विसर्जन अनुष्ठान से एक दिन पहले जारी दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) के मानदंडों का उल्लंघन किया है।

शनिवार की सुबह आईटीओ स्थित यमुना घाट पर मूर्तियों, अन्य धार्मिक सामग्री सहित कचरे का ढेर देखने को मिला।

दिल्ली सरकार के प्रदूषण नियंत्रण निकाय डीपीसीसी ने अपने 13 अक्टूबर के आदेश में कहा था कि आगामी दुर्गा पूजा और अन्य त्योहारों आदि के दौरान यमुना नदी या किसी अन्य जल निकाय, तालाबों, घाटों आदि सहित किसी भी सार्वजनिक स्थान पर मूर्ति विसर्जन की अनुमति नहीं है।

आदेश में कहा गया था, कि ऐसे जल निकायों का परिणामी प्रदूषण चिंता का विषय रहा है। गाद के अलावा, मूर्तियों को बनाने में उपयोग किए जाने वाले जहरीले रसायन जल प्रदूषण की गंभीर समस्या पैदा करते हैं। मूर्ति विसर्जन के कारण पानी की गुणवत्ता में गिरावट का आकलन करने के लिए किए गए अध्ययन में पता है कि चालकता, जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग और भारी धातु एकाग्रता के संबंध में पानी की गुणवत्ता में गिरावट दिनों दिन बढ़ती जा रही है। इसलिए मूर्ति विसर्जन अनुष्ठान घर के परिसर के भीतर एक बाल्टी और कंटेनर आदि में किया जाए।

विसर्जन ने एक बार फिर यमुना की दुर्दशा को उजागर किया है। जिस यमुना नदी का जलग्रहण दिल्ली के अलावा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों को कवर करता है, वह राष्ट्रीय राजधानी में और उसके आसपास सबसे अधिक प्रदूषित है।

प्रदूषण के शीर्ष स्रोत सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी), अनधिकृत कॉलोनियों से अनुपचारित पानी के साथ-साथ अधिकृत कॉलोनियों के सीवर से निकलते हैं।

डीपीसीसी के आदेश ने जिलाधिकारियों को मूर्ति विसर्जन से संबंधित दिशा-निदेशरें को लागू करने का निर्देश दिया था, जिसमें कहा गया था कि प्रत्येक उल्लंघनकर्ता दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण निकाय को 50,000 रुपये का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगा।

स्वच्छ और प्रदूषण मुक्त यमुना दिल्ली सरकार का 25 साल से अधिक समय से चुनावी वादा रहा है। पहली यमुना कार्य योजना जिसके लिए 1992 में एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसका उद्देश्य नदी में बेहतर जल गुणवत्ता संरक्षण और नदी बेसिन में स्वच्छ वातावरण बनाना था।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Source : IANS

Advertisment
Advertisment
Advertisment