क्या ट्रांसजेंडर्स बन सकेंगे एयर इंडिया में केबिन क्रू?

एयर इंडिया में नौकरी के लिए आवेदन करने वाली शान्वी पोन्नास्वामी ने उनके ट्रांसजेंडर होने की वजह से नौकरी ना मिलने के कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली।

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Aditi Singh
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क्या ट्रांसजेंडर्स बन सकेंगे एयर इंडिया में केबिन क्रू?

ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर की पहचान मिलने के बावजूद उन्हें समाज में अपनी जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

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एयर इंडिया में नौकरी के लिए आवेदन करने वाली शान्वी पोन्नास्वामी ने उनके ट्रांसजेंडर होने की वजह से नौकरी ना मिलने के कारण सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली। इस याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ता  का कहना है कि ट्रांसजेंडर होने के चलते उन्हें एयर इंडिया में केबिन क्रू की नौकरी नहीं दी गई क्योंकि एयर इंडिया में इस पद के लिए थर्ड जेंडर (ट्रांसजेंडर )की केटेगरी  नहीं रखी गई है।

याचिकाकर्ता की मांग
सुप्रीम कोर्ट में  याचिका इंजीनियरिंग की छात्रा शान्वी पोन्नास्वामी ने दायर की है। शान्वी ने न्यूज़ नेशन को बताया कि उन्होंने एयर इंडिया में केबिन क्रू पद के लिए आवेदन किया था। चार बार परीक्षा दी लेकिन टेस्ट में अच्छा करने के बावजूद उन्हें शॉर्टलिस्ट नहीं किया गया।

बाद में उन्हें पता चला कि ट्रांसजेंडर होने के चलते उन्हें ये नौकरी नहीं मिली है क्योंकि एयर इंडिया में ट्रांसजेंडर के लिए नौकरी का प्रावधान नहीं है। इसके बाद उसने नागरिक उड्डयन मंत्रालय के दफ़्तर से सम्पर्क किया लेकिन एयर इंडिया के सीएमडी से मुलाकात नही हो सकी।

याचिकाकर्ता का कहना है कि ट्रांसजेंडर मानव सभ्यता के उदय से हर जाति, सभ्यता और का हिस्सा रहे है। ऐसे में एयर इंडिया में ट्रांसजेंडर को नौकरी के तौर पर मान्यता ना देना, संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 21 के तहत समानता और गरिमा के साथ जीने के अधिकार का उल्लंघन है।

शान्वी पोन्नास्वामी के वकील अरविंद सिंह ने न्यूज़ नेशन को बताया कि याचिका में साल 2014 में दिए सुप्रीम कोर्ट फैसले का हवाला दिया गया है जिसमे कोर्ट ने ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर  के रूप में पहचान दे दी थी।

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क्या था सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला
साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने औपचारिक तौर पर ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर के तौर पर मान्यता दी थी। कोर्ट ने कहा था कि शिक्षण संस्थानों में दाखिला लेते वक्त या नौकरी देते वक्त ट्रांसजेंडर्स की पहचान थर्ड जेंडर के रूप में की जाए। इसके लिए बाकायदा थर्ड जेंडर की एक केटेगरी बनाई जाए।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किन्नरों या तीसरे लिंग की पहचान के लिए कोई कानून न होने की वजह से उनके साथ शिक्षा या जॉब के क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जा सकता और उन्हें ओबीसी की तर्ज पर शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण मिलना चाहिए।

अब आगे क्या होगा?
एयर इंडिया और नागरिक उड्डयन मंत्रालय को चार हफ़्ते में सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल करना है। अगर सुप्रीम कोर्ट याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला देता है तो ये उन तमाम ट्रांसजेंडर के लिए हौसला बढ़ाने वाला साबित होगा, जो समाज की मुख्यधारा में आना चाहते है, लेकिन सामाजिक पूर्वाग्रह के चलते नौकरियों को पाने से वंचित रहे है।

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HIGHLIGHTS

  • ट्रांसजेंडर्स को थर्ड जेंडर की पहचान मिलने के बावजूद करना पड़ रहा है सामना
  • एयर इंडिया का ट्रांसजेंडर होने के चलते केबिन क्रू की नौकरी देने से इंकार

Source : News Nation Bureau

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