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नोटबंदी के बाद आरबीआई के सामने नए नोटों की प्रिंटिंग और सप्लाइ के साथ-साथ बैन किए गए पुराने बड़े नोटों को नष्ट करना भी बड़ी चुनौती है। रिपोर्ट के मुताबिक 500 और 1,000 रुपये के बैन हो चुके नोटों को नष्ट करने में आरबीआई को एक साल से ज्यादा का समय लग सकता है।
एक अनुमान के मुताबिक आरबीआई को 1,500 करोड़ से ज्यादा नोटों को नष्ट करना होगा। पुराने नोटों को आरबीआई के श्रेडिंग सेंटरों (जहां चलन से बाहर हो चुके नोटों के कतरन किए जाते हैं) तक पहुंचाने का काम जारी है। महाराष्ट्र में मुंबई, बेलापुर और नागपुर के आरबीआई के केंद्रों में पुराने नोटों को कतरने का काम शुरू हो चुका है।
खबर के मुताबिक आरबीआई के करंसी मैनेजमेंट डिपार्टमेंट के एक अफसर ने कहा कि अकेले मुंबई से ही श्रेडिंग सेंटर्स पर पुराने नोटों से भरे 70 हजार से 80 हजार बोरे भेजे जाने की संभावना है।
अधिकारी ने बताया कि हम ये नहीं मानते कि अमान्य हो चुके सारे नोट आरबीआई के पास आ जाएंगे, लेकिन उनमें से 70 प्रतिशत भी श्रेडिंग के लिए आए तो ये 1500 करोड़ से ज्यादा नोट होंगे।
आरबीआई से जुड़े अफसर ने बताया कि चलन से बाहर हो चुके नोटों को श्रेडिंग सेंटर्स तक लाने का काम 14 नवंबर से ही शुरू हो गया। इन नोटों को नष्ट करने की प्रक्रिया भी करीब तभी शुरू की गई।
आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक 2015-16 में एक हजार के 62.5 करोड़ नोट और 500 के 280 करोड़ नोट नष्ट किए गए थे। ज्यादा कटे-फटे नोटों को भी आरबीआई नष्ट करता है।
मार्च 2016 तक 1,000 रुपये के 632 करोड़ नोट चलन में थे जबकि 500 रुपये के ऐसे नोटों की तादाद 1570 करोड़ रुपये थी। अब इन नोटों को नष्ट करना आसान काम नहीं है।
Source : News Nation Bureau