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नोटबंदी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका, दो दिसंबर को होगी सुनवाई

इस याचिका में याचिकाकर्ता ने केंद्र के फ़ैसले को ग़लत बताते हुए चुनौती दी है और पाबंदी को रद्द करने की मांग की है।

Updated on: 30 Nov 2016, 10:24 AM

highlights

  • याचिकाकर्ता ने केंद्र के फ़ैसले को रद्द करने की मांग की है।
  • केरल की 14 सहकारी बैंक और भारतीय जनता पार्टी के नेता ने भी डाली है याचिका।
  • पहले से ही लंबित केंद्र सरकार की स्थानांतरण याचिका पर भी होगी सुनवाई।

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी के बाद बंद किये गए 500 और 1000 के नोट की पाबंदी को रद्द करने की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका के साथ-साथ दो अन्य याचिकाओं पर भी सुनवाई के लिए हामी भरते हुए 2 दिसम्बर यानि की शुक्रवार का दिन निर्धारित किया है।

इस याचिका में याचिकाकर्ता ने केंद्र के फ़ैसले को ग़लत बताते हुए चुनौती दी है और पाबंदी को रद्द करने की मांग की है।

नई याचिका दाख़िल करने वालों में केरल की 14 सहकारी बैंक और भारतीय जनता पार्टी के एक नेता भी शामिल हैं। सहकारी बैंक की मांग है है कि उन्हें भी अन्य बैंकों की तरह ही कारोबार की अनुमति दी जाय। वहीं पेशे से वकील भाजपा नेता एक सौ रूपये से अधिक की मुद्रा पर ही बंदी का अनुरोध का रहे हैं।

चीफ जस्टिस तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने मंगलवार को याचिका पर सुनवाई के लिए 2 दिसम्बर की तारीख़ निर्धारित की है। उसी दिन पहले से ही लंबित केंद्र सरकार की स्थानांतरण याचिका सहित अन्य याचिकाओं पर सुनवाई होनी है।

केरल की सहकारी बैंक चाहती हैं कि सुप्रीम कोर्ट इन्हें भी अन्य सरकारी बैंक की तरह ही नकदी कारोबार करने की अनुमति दें।

याचिका कर रही सभी बैंको का दावा है कि ज़िला सहकारी बैंकों को पुरानी मुद्रा को बदलने की अनुमति नहीं दी गयी है, जो पक्षपातपूर्ण है। ये सभी बैंक भारतीय रिज़र्व बैंक के सभी गाइडलाइन्स को मानते हैं और उसके अनुसार ही काम करते हैं।

याचिका में ये भी कहा गया है कि निजी बैंकों को भी पुरानी मुद्रा बदलने की अनुमति मिली है जबकि ज़िला सहकारी बैंकों को ऐसा करने की अनुमति नहीं है जो ठीक नहीं है।

दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने याचिका दायर करते हुए कहा कि एक सौ रूपये से अधिक मूल्य की सारी मुद्रा को वापस लिया जाय।

उनका दावा है कि भ्रष्टाचार, काले धन पर नियंत्रण, आतंकवाद और नक्सली गतिविधियों पर विराम लगाने के लिए ऐसा करना ज़रूरी है। उन्होंने आगे ये भी तर्क दिया है कि अगर ऐसा हुआ तो जुआ, तस्करी, हवाला, रिश्वत और उगाही जैसी गतिविधियों पर भी काफी हद तक अंकुश लग सकेगा।

याचिका में नकद कारोबार पांच हज़ार रूपये तक सीमित करने और ऑनलाइन तथा क्रेडिट कार्ड से होने वाले लेन-देन पर लगने वाले शुल्क वापस लेने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।