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आरबीआई के बार-बार बदलते नियमों की कांग्रेस, आप और अन्य विपक्षी दलों ने की आलोचना

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पांच हजार रुपये से अधिक के पुराने नोटों को 30 दिसंबर तक एक ही बार जमा करने की शर्त को वापस लेने के फैसले पर बुधवार को कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने उसे आड़े हाथ लिया।

Updated on: 22 Dec 2016, 12:12 AM

नई दिल्ली:

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पांच हजार रुपये से अधिक के पुराने नोटों को 30 दिसंबर तक एक ही बार जमा करने की शर्त को वापस लेने के फैसले पर बुधवार को कांग्रेस सहित विपक्षी पार्टियों ने उसे आड़े हाथ लिया। मार्क्‍सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि सरकार आठ नवंबर को नोटबंदी के फैसले पर अजीबोगरीब तरीके से काम कर रही है। आम आदमी पार्टी (आप) ने जोर देते हुए कहा कि भ्रम पैदा करने वाले नियमों का मतलब है कि सरकार ने बैंकों पर से नियंत्रण खो दिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि सरकार तथा आरबीआई ने बीते 43 दिनों के दौरान 126 बार नियम बदले। सुरजेवाला ने सवालिया लहजे में कहा, "देशवासियों तथा अर्थव्यवस्था के साथ यह किस तरह का मजाक है? क्या मोदी जी इस तरह से सरकार चलाएंगे।"

उन्होंने कहा कि पहले नोटबंदी और फिर बार-बार बैंकिंग नियमों में बदलाव ने भारत के आम आदमी व किसानों की कमर तोड़कर रख दी है। सुरजेवाला ने सरकार व आरबीआई की उस फैसले के लिए कड़ी आलोचना की, जिसमें लोगों को 30 दिसंबर तक 5,000 रुपये की रकम एक बार से अधिक जमा करने पर बैंक कर्मचारियों द्वारा पूछताछ की शर्त लगाई गई थी।

इस आदेश को हालांकि उन खाताधारकों के लिए वापस ले लिया गया था, जिन्होंने अपना केवाईसी भर दिया था। कांग्रेस नेता ने कहा कि 55 लाख बैंक खाते हैं, जिनमें 36 लाख ही केवाईसी के अनुरूप हैं।

उन्होंने कहा, "तो क्या यह प्रतिबंध बाकी बचे 19 लाख खातों के लिए ही होगा। अगर आप गरीब हैं, सुदूरवर्ती इलाकों में रहते हैं, पैन कार्ड नहीं हैं और केवाईसी खाता नहीं है, तो अपने खाते में 30 दिसंबर तक 5,000 रुपये से ऊपर की रकम जमा नहीं कर पाएंगे।"

मार्क्‍सवादी नेता बृंदा करात ने कहा कि पूरी नोटबंदी ही मनमाना, बिना किसी योजना के और गरीब विरोधी है।करात ने आईएएनएस से कहा, "सबसे बड़ी बात यह है कि वह (सरकार) सोकर उठती है, कुछ सोचती है और शाम ढलते-ढलते उसके दिमाग में दूसरा विचार आ जाता है।"

आम आदमी पार्टी (आप) ने आरोप लगाया है कि आरबीआई के भ्रमित करने वाले नियमों के चलते सरकार ने बैंकों पर नियंत्रण खो दिया है।आप प्रवक्ता आशुतोष ने कहा, "देश ने कभी इस तरह का हास्यास्पद माहौल नहीं देखा था। केंद्रीय वित्त मंत्री (अरुण जेटली) ने कहा कि लोगों को असुविधा नहीं होगी। बैंक हालांकि अभी भी लिखित में जवाब मांग रहे हैं। ऐसा लगता है कि बैंक वित्त मंत्री तथा प्रधानमंत्री की नहीं सुन रहे हैं।"

आरबीआई पर बरसते हुए जनता दल (युनाइटेड) ने केंद्रीय बैंक को एक 'पिंजड़े में बंद तोता' करार दिया।

जद (यू) नेता अली अनवर ने आईएएनएस से कहा, "आरबीआई उस सीबीआई की तरह हो गई है, जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने पिंजड़े का तोता करार दिया था," क्योंकि भ्रष्टाचार रोधी जांच एजेंसी सरकार के आदेश पर काम करती है।उन्होंने कहा, "आरबीआई के पिछले गवर्नर रघुराम राजन तथा वर्तमान गवर्नर उर्जित पटेल में जमीन-आसमान का अंतर है।"

अनवर ने कहा, "मुझे आरबीआई को लेकर बुरा लग रहा है कि जिसे अपने कार्यकाल के दौरान रघुराम राजन ने ऊंचाई तक पहुंचाया, जबकि उर्जित पटेल ने उसे बर्बाद कर दिया। उन्होंने आरबीआई की छवि धूमिल कर दी है।"

स्वराज इंडिया पार्टी के योगेंद्र यादव ने इस तरह की 'समझौते वाली स्वायत्तता तथा इस (आरबीआई) पवित्र संस्थान में लोगों का विश्वास कम करने' को लेकर पटेल के इस्तीफे की मांग की है।