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31 दिसंबर 2016 के बाद पुराने 500 और 1000 रु के नोट रखना गैर कानूनी: मोदी सरकार

नोटबंदी के बाद रद्द हुए पुराने 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोट को 31 दिसंबर की समय सीमा के बाद रखना 'गैरकानूनी' है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को यह जानकारी दी।

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kunal kaushal
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31 दिसंबर 2016 के बाद पुराने 500 और 1000 रु के नोट रखना गैर कानूनी: मोदी सरकार
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नोटबंदी के बाद रद्द हुए पुराने 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोट को 31 दिसंबर की समय सीमा के बाद रखना 'गैरकानूनी' है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को यह जानकारी दी।

अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार की तरफ से मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे. एस. केहर, न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एस. के. कौल की पीठ के सामने ये तथ्य पेश किया और कहा कि सरकार नोटबंदी के खिलाफ दायर याचिकाओं का विरोध करेगी।

रोहतगी ने उन याचिकाओं का विरोध किया, जिसमें व्यक्तियों और कंपनियों को रद्द किए गए पुराने नोट को बिना किसी पूर्वाग्रह के जमा करने की अनुमति देने के लिए सरकार को आदेश देने की मांग की गई थी।

याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश अधिवक्ता ने अदालत से गुजारिश की कि रद्द की गई मुद्रा को रखने के लिए उन पर कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

इस मामले की सुनवाई की अगली तारीख 21 मार्च मुकर्रर करते हुए खंडपीठ ने कहा, 'अगर जरूरत होगी तो हम समय सीमा बढ़ाएंगे।'

अदालत कई जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि सरकार नोटबंदी के बाद पुराने नोटों को 31 मार्च तक जमा करने की अनुमति नहीं दे रही है, जैसा कि सरकार ने पहले वादा किया था।

याचिकाकर्ताओं ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर, 2016 को किया था, जब वे नोटबंदी की घोषणा कर रहे थे।

एक याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा, 'प्रधानमंत्री के भाषण और उसके बाद जारी अधिसूचना में यह आश्वासन दिया गया था कि कोई व्यक्ति विशेष परिस्थितियों में 31 मार्च, 2017 तक पुराने नोट जमा कर सकेगा। लेकिन 2016 के दिसंबर में लागू किए गए अध्यादेश में सरकार इसका उल्लेख करने में नाकाम रही।'

एक महिला ने कहा कि वह अपने पुराने नोट उस समय इसलिए जमा नहीं कर पाई, क्योंकि वह उस वक्त गर्भवती थी और उसका इरादा बच्चे के जन्म के बाद उसे जमा करने का था।

उसने कहा, 'पुराने नोट और उसकी वैधता को लेकर प्रतिवादियों (सरकार) के बीच भ्रम एक 'बुरे प्रशासन' का एक निश्चित उदाहरण है, जिसके नतीजे में आम लोगों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न हुआ।'

उन्होंने कहा कि सरकार और आरबीआई ने उससे 31 मार्च तक पुराने नोट जमा कराने का मौका छीनकर केवल एनआरआई और विदेश में रह रहे भारतीयों को ही इसकी सुविधा दी है।

विभिन्न कंपनियों और लोगों द्वारा सरकार के खिलाफ इस संबंध में कई याचिकाएं दायर की गई है जिसमें पुराने नोट जमा करने की समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ाने की मांग की गई है।

Source : IANS

500 and 1000 rupee old currency emonetisation
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