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नोटबंदी से छूट रहे आतंकियों और माओवादियों के पसीने
काले धन के खात्मे के लिए केंद्र सरकार के नोटबंदी फैसले ने जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों और देश भर में फैले नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। एक ओर जहां कश्मीर में हवाला के जरिए आतंकियों और अलगाववादियों तक पहुंचने वाले पैसे में भारी कमी आई है, वहीं दूसरी ओर नक्सलियों का बड़ी करंसी के रूप जमा पैसा अब बेकार हो चुका है।
खबरों के मुताबिक कश्मीर में आतंकियों और अलगाववादियों को हवाला के के माध्यम से जो कैश मुहैया कराया जाता था, उसमें अधिकतर 500 और 1000 रुपये के नोट होते थे। अब पुराने नोटों पर बैन लगने के बाद इस फंडिंग में काफी कमी आई है। उधर, देश के कई राज्यों में फैले माओवादी समूह, खासकरतौर पर बिहार और झारखंड के माओवादियों ने फिरौती के जरिए जो मोटी रकम जमा कर रखी थी, अब उसे भुनाने में उनके पसीने छूट रहे हैं।
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जम्मू-कश्मीर में टेरर फंडिंग को बड़ा झटका लगा है। वहीं हिंसा और प्रदर्शनों को फंड कराने के लिए भी पैसा नहीं है। इन कामों को अंजाम देने वाले इस समय चुपचाप बैठे हुए हैं। हिंसक प्रदर्शन करवाने या पत्थरबाजी को फंड करने के लिए उनके पास पैसा नहीं है। घाटी में 8 नवंबर के बाद से अभी तक कोई भी बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है।
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खुफिया जानकारियों के मुताबिक नोटबैन से माओवादियों पर जबर्दस्त असर पड़ा है। उनकी फंडिंग के सभी रास्ते बंद हो गए हैं। बिहार और झारखंड स्थित सीपीआई (माओवादी) नेताओं के बीच जो बातचीत पकड़ी गई है, उससे पता चलता है कि उन्हें ढेर लगाकर रखे गए अपने कैश को खो देने का डर है। इस बीच सरकारी एजेंसियों ने नक्सल प्रभावित इलाकों में पैसे के फ्लो पर कड़ी नजर रखनी शुरू कर दी है। वहीं माओवादी बैंक या कैश वैन्सस को निशाना बना सकते हैं, ताकि अपनी भरपाई कर सकें।
HIGHLIGHTS
- कश्मीर में हवाला के जरिए आतंकियों और अलगाववादियों तक पहुंचने वाले पैसे में भारी आई कमी
- नक्सलियों का बड़ी करंसी के रूप जमा पैसा भी हुआ बेकार
- आतंकवादियों को अपनी हरकतों को अंजाम देने में आ रही है काफी परेशानी
Source : News Nation Bureau