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सुप्रीम कोर्ट में हुई जासूसी मामले की अदालत की निगरानी में जांच की मांग

अधिवक्ता एमएल शर्मा ने याचिका दायर की है, जिसमें शर्मा ने दावा किया है कि जासूसी कांड भारतीय लोकतंत्र पर हमला है. याचिका में कहा गया है, पेगासस घोटाला गंभीर चिंता का विषय है और भारतीय लोकतंत्र, देश की सुरक्षा और न्यायपालिका पर हमला है.

Updated on: 22 Jul 2021, 10:33 PM

नई दिल्ली :

सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर पेगासस जासूसी मामले की अदालत की निगरानी में एसआईटी से जांच कराने की मांग की गई है. अधिवक्ता एमएल शर्मा ने याचिका दायर की है, जिसमें शर्मा ने दावा किया है कि जासूसी कांड भारतीय लोकतंत्र पर हमला है. याचिका में कहा गया है, पेगासस घोटाला गंभीर चिंता का विषय है और भारतीय लोकतंत्र, देश की सुरक्षा और न्यायपालिका पर हमला है. निगरानी का व्यापक उपयोग नैतिक रूप से विकृत है. इस सॉफ्टवेयर के राष्ट्रीय सुरक्षा निहितार्थ बहुत बड़े हैं. अदालत की निगरानी में जांच की मांग करते हुए याचिका में कहा गया है कि इस घोटाले में राष्ट्रीय सुरक्षा और न्यायिक स्वतंत्रता से संबंधित मुद्दे शामिल हैं.

दलील में तर्क दिया गया कि यह एक सवाल है कि क्या सरकार द्वारा पेगासस सॉफ्टवेयर खरीदना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 266(3), 267(2) और 283(2) का उल्लंघन है. शर्मा की जनहित याचिका में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीबीआई को प्रतिवादियों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है. याचिका में सवाल किया गया है कि क्या संविधान प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों को उनके निहित राजनीतिक हितों के लिए भारत के नागरिकों की जासूसी करने की अनुमति देता है?

इससे पहले शर्मा ने राफेल डील, आर्टिकल 370, हैदराबाद पुलिस एनकाउंटर जैसे कई सनसनीखेज मामलों में पीआईएल दाखिल की थी. इजराइली फर्म एनएसओ ग्रुप द्वारा बनाया गया पेगासस सॉफ्टवेयर, उपयोगकतार्ओं की जानकारी के बिना स्मार्टफोन को संक्रमित कर सकता है और लगभग सभी डेटा तक पहुंच सकता है.