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दिल्ली बनाम केंद्र सरकार : SC ने अधिकारों का मामला  5 जजों की संविधान पीठ को सौंपा

दिल्ली के प्रशासनिक अधिकार  (Administrative Services In Delhi) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच जारी मामले को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने शुक्रवार को 5 जजों की संविधान पीठ ( Five Judge Constitution Bench) को सौंप दिया है.

Updated on: 06 May 2022, 01:28 PM

highlights

  • पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था
  • दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के मसले पर फैसला होना है
  • 5 जजों की संविधान पीठ फैसला करेगी कि प्रशासन को कौन नियंत्रित करेगा

New Delhi:

दिल्ली के प्रशासनिक अधिकार  (Administrative Services In Delhi) को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच जारी मामले को सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने शुक्रवार को 5 जजों की संविधान पीठ ( Five Judge Constitution Bench) को सौंप दिया है. इसके तहत दिल्ली के अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के सबसे बड़े मसले पर फैसला होना है. 5 जजों की संविधान पीठ फैसला करेगी कि दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं को कौन नियंत्रित करेगा. सुप्रीम कोर्ट अब इस मसले पर 11 मई यानी बुधवार को सुनवाई करने वाला है. इस मामले पर पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के प्रशासनिक अधिकार के मामले का जल्द निपटारा कर लिया जाएगा. कोर्ट ने ताकीद कि कोई भी पक्ष सुनवाई टालने का आवेदन न दे. सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में ही संकेत दिया था कि मामले को 5 जजों के संवैधानिक पीठ के पास भेजा जा सकता है. दिल्ली सरकार राज्य के प्रशासनिक अधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रही है. दिल्ली सरकार ने सिविल सर्विसेज के अधिकारियों पर नियंत्रण को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार मांग की है. 

दिल्ली सरकार ने कहा- यह दुर्लभ मामला होगा

इससे पहले मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है और पूरी दुनिया भारत को दिल्ली की नजर से ही देखती है. इसलिए अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग पर उसका नियंत्रण होना चाहिए. वहीं, दिल्ली सरकार ने केंद्र के रुख पर आपत्ति जताई. उसके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि यह एक दुर्लभ मामला होगा. इस मामले में संविधान पीठ का फैसला पहले से ही है. केंद्र सरकार 6 बार केस की सुनवाई टालने का आग्रह कर चुकी है. अब केस को बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग कर रही है. 

सॉलिसिटर जनरल ने दिया 239 AA का हवाला

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पिछली सुनवाई में 239 AA की व्याख्या करते हुए बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट का भी जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी है. इसलिए यह आवश्यक है कि केंद्र के पास लोक सेवकों की नियुक्तियों और तबादलों का अधिकार हो. दिल्ली भारत का चेहरा है. दिल्ली के कानूनों के बारे में आवश्यक विशेषता इस बात से निर्देशित है कि इस देश की महान राजधानी को कैसे प्रशासित किया जाएगा. यह किसी विशेष राजनीतिक दल के बारे में नहीं है. 

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सॉलिसिटर जनरल मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए तर्क दिया कि दिल्ली क्लास सी राज्य है. दुनिया के लिए दिल्ली को देखना यानी भारत को देखना है. बालकृष्णन समिति की रिपोर्ट की इस सिलसिले में बड़ी अहमियत है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस मामले को 5 न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ को भेजा जाना चाहिए.