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दिल्ली दंगा पीड़ितों को मुआवजे के लिए दिखाने होंगे कागजात, कागज दिखाने का ही कर रहे थे विरोध

सीएए एनआरसी का विरोध कर रहे दिल्ली हिंसा से पीड़ित लोगों को अब मुआवजा (Compensation) हासिल करने के लिए जिस फॉर्म को भरना जरूरी है, उसमें वोटर आईडी कार्ड से लेकर आधार कार्ड तक के नंबर मांगे गए हैं.

Updated on: 08 Mar 2020, 10:52 AM

highlights

  • केजरीवाल सरकार ने दिल्ली हिंसा पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए दिए विज्ञापन.
  • विज्ञापन में मुआवजे के लिए वोटर आई कार्ड और आधार कार्ड की मांग की गई.
  • केजरीवाल सरकार ने सीएए विरोध में मुसलमानों से कागज नहीं दिखाने को कहा था.

नई दिल्ली:

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के समर्थकों-विरोधियों के बीच भड़की दिल्ली हिंसा (Delhi Violence) के बाद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के नुमाइंदे सक्रिय हुए और भारी-भरकम मुआवजे का ऐलान कर दिया. हालांकि केजरीवाल (Arvind Kejriwal) यहीं पर एक ऐसा दांव खेल गए जिसकी उम्मीद उन्हें जिताने वालों खासकर सीएए विरोधी मुसलमानों ने भी नहीं की थी. सीएए का विरोध करते हुए आम आदमी पार्टी (AAP) के कई दिग्गज नेताओं ने कानून का विरोध कर रहे लोगों से किसी तरह का कागज दिखाने से मना कर दिया था. यह अलग बात है कि दिल्ली हिंसा से पीड़ित लोगों को अब मुआवजा (Compensation) हासिल करने के लिए जिस फॉर्म को भरना जरूरी है, उसमें वोटर आईडी कार्ड से लेकर आधार कार्ड तक के नंबर मांगे गए हैं. देखने वाली बात यह होगी कि सीएए और एनआरसी के लिए किसी तरह का कागज दिखाने का विरोध कर कर रहे लोग मुआवजा हासिल करने के लिए कागज दिखाते हैं या इसका विरोध करते हैं.

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कागज का विरोध कर रहे थे अब कागज ही मांगे
दिल्ली की केजरीवाल सरकार पहले ही से शाहीन बाग धरने पर शांत रहने को लेकर आलोचना के केंद्र में है. ऐसे में दंगा पीड़ितों को लेकर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का दोहरी नीति भी सामने आ गई है. जिस नागरिकता संशोधन कानून के केंद्र में शाहीन बाग जैसा संविधान विरोधी प्रदर्शन की साजिश रचकर दिल्ली विधानसभा चुनाव जीता गया. जिस कानून के विरोध के नाम पर मुसलमानों को कागज नहीं दिखाने का नारा दिया गया. जिस कानून के विरोध के नाम पर आप पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन जैसे मुसलमानों को भड़का कर दिल्ली को सांप्रदायिक हिंसा में फूंकने का काम किया गया, उसी केजरीवाल सरकार ने अब दंगा पीड़ितों को मुआवजा हासिल करने के लिए कागजात दिखाने का फरमान जारी कर चुकी है.

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वोटर और आधार कार्ड जरूरी
गौरतलब है कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और उसके मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों से कहते घूम रहे थे कि किसी को कोई प्रूफ दिखाने की जरूरत नहीं है, यहां रहने वाला हर व्यक्ति इस देश का नागरिक है. अरविंद केजरीवाल और आप के नेता कहते थे कि उनके पास कागज नहीं हैं तो वे कागज कहां से दिखाएंगे? यही केजरीवाल सरकार ने अब दंगा पीडितों को मुआवजा लेने के लिए आधार कार्ड या फिर वोटर कार्ड दिखाना और उसकी छाया प्रति जमा कराना जरूरी कर चुके हैं.

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मुआवजे के लिए फॉर्म में मांगी गई जानकारी
दरअसल, दिल्ली हिंसा के मद्देनजर ने दंगा पीड़ितों को मुआवजा देने का ऐलान किया गया है. इसके लिए बकायदा अखबारों में विज्ञानन निकाले गए हैं, लेकिन चौंकाने वाली बात है कि दिल्ली सरकार के विज्ञापन में फॉर्म भरने वालों से फॉर्म के साथ आधार और वोटर कार्ड की कॉपी संलग्न करने को कहा गया है. यानि मुआवजे के लिए कागज दिखाने होंगे. अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या जो लोग नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रहे हैं वो मुआवजा लेने के लिए कागज दिखाएंगे या नहीं? आधार और वोटर कार्ड की कॉपी लगाने का फैसला केजरीवाल सरकार द्वारा किया गया है.