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दंगाइयों ने आईबी कर्मी अंकित शर्मा को कुचलने के बाद मारी थी गोली( Photo Credit : FILE PHOTO)
उत्तर पूर्वी दिल्ली जिले में भड़की हिंसा (Delhi Violence) में बेमौत मारे गए भारतीय खुफिया एजेंसी के सुरक्षा सहायक की हत्या के मामले में कई सनसनीखेज खुलासे सामने आए हैं. पता चला है कि अंकित शर्मा (Ankit Sharma) घटना वाले दिन घर से बाहर निकले तो उपद्रवियों को शांत कराने के लिए थे. देखते-देखते वे खुद ही भीड़ के बीच 'पीड़ित' के बतौर बुरी तरह फंस गए. उन्होंने भीड़ को चीख-चीख कर बताया कि, वो हिंसक भीड़ में शामिल लोगों के पड़ोसी और काफी पहले से परिचित हैं. इसके बाद भी मौत का नंगा नाच करने पर उतारू भीड़ ने बेबस-बेकसूर अंकित पर रहम नहीं खाया. भारतीय खुफिया एजेंसी (आईबी) के 26 साल के होनहार युवा सुरक्षा सहायक अंकित शर्मा की नृशंस हत्या को लेकर यह तमाम सनसनीखेज खुलासे बुधवार और गुरुवार को आईएएनएस द्वारा तह तक जाकर की गई पड़ताल में सामने आए हैं. हालांकि दिल्ली पुलिस अंकित शर्मा की मौत को लेकर पूरी तरह चुप्पी साधे हुए है. यहां तक कि बुधवार को देर शाम करीब सात बजे दिल्ली पुलिस प्रवक्ता मंदीप सिंह रंधावा ने प्रेस-कांफ्रेंस में भी अंकित शर्मा की सनसनीखेज मौत के बारे में कोई अधिकृत जानकारी नही दी.
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पूरी प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पुलिस प्रवक्ता रंधावा, यही राग अलाप कर चलते बने कि, 'सब जगह शांति है. ड्रोन से निगरानी कर रहे हैं. पुलिस ने छतों से ईंट-पत्थर ढोना शुरू कर दिया है. 18 एफआईआर दर्ज कर ली गई हैं. पुलिस-अर्धसैनिक बल भरपूर है..." जब पुलिस मुस्तैद थी तो भी आखिर, देश की इकलौती सबसे खुफिया एजेंसी का बहादुर जवान भीड़ ने बेमौत कैसे मार डाला? जैसे सवाल का जवाब दिल्ली पुलिस के किसी भी आला-अफसर के पास नहीं है.
आईएएनएस ने अंकित शर्मा के परिवार वालों से उनके घर जाकर गुरुवार को बात की. सब के सब गमगीन हैं. अपने चहेते अंकित को हिंसा पर उतरी भीड़ के क्रूर हाथों से खोकर. घर में मौजूद एक रिश्तेदार ने आईएएनएस के सामने ही सवालों की झड़ी लगा दी, "दो दिन चली हिंसा के दौरान क्या पुलिस सो रही थी? पुलिस अगर जाग रही थी तो फिर कैसे जाफराबाद, चांद बाग, करावल नगर, गोकुलपुरी, भजनपुरा की आग में अंकित जैसे 25-30 बेगुनाह बेमौत मार डाले गए? दिल्ली पुलिस कमिश्नर मौके से गायब रहे..आखिर क्यों? कहां छिप गए सेनापति अमूल्य पटनायक?"
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उन्होंने पूछा, "जब अंकित और हवलदार रतन लाल जैसे बेगुनाह जाबांज हिंसा की आग में बेमौत भस्म कर दिए जा रहे थे? इसके बाद पुलिस हेडक्वार्टर में मीडिया वालों को बुला-बुलाकर दिल्ली पुलिस अफसर बरगला रहे हैं कि, सब जगह पर्याप्त पुलिस बल है! अगर पर्याप्त पुलिस बल था तो फिर 20-30 बेगुनाह क्या अपने आप गोली, ईंट पत्थर मारकर मर-खप गए? इन अकाल मौतों और हिंसा के लिए एफआईआर तो दिल्ली पुलिस अफसरों के खिलाफ ही दर्ज क्यों नहीं की जा रही है? जो इतना बड़ा नरसंहार कराने की सीधी-सीधी जिम्मेदार है."
हिंसक भीड़ की भेंट चढ़ चुके अंकित शर्मा के और भी तमाम रिश्तेदारों ने दिल्ली पुलिस के खिलाफ ही आईएएनएस के सामने आग उगली. अंकित शर्मा के तमाम पड़ोसी भी दिल्ली पुलिस को ही कोस रहे थे. कई पड़ोसियों ने तो यहां तक दो टूक कहा कि, 'दिल्ली पुलिस झूठी मक्कार होने के साथ-साथ सीधे-सीधे उत्तर पूर्वी दिल्ली को आग में झोंकने की भी जिम्मेदार है. यहां इन हिंसक घटनाओं में मारे गए लोगों की आत्मा और उनके परिवारों के दिलों को ठंडक तभी मिलेगी, जब दिल्ली पुलिस के दोषी अफसर गिरफ्तार करके जेल में डाल दिए जाएंगे.'
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आईएएनएस द्वारा अंकित शर्मा के पिता रविंदर कुमार शर्मा से जब बात की गई, तो और भी कई खुलासे हुए. अंकित के पिता खुद भी इंटेलीजेंस ब्यूरो में हवलदार हैं. उन्होंने बताया कि अंकित ने 2017 में आईबी में ज्वाइन किया था. वे अंकित की शादी के लिए लड़की की तलाश कर रहे थे. उनका परिवार उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर का मूल निवासी है. अंकित की मां घरेलू महिला हैं. अंकित का परिवार खजूरी खास इलाके में रहता है. अंकित ने बारहवीं तक की पढ़ाई खजूरी खास से ही की थी. उसके बाद उसने हंसराज कॉलेज से स्नातक किया.
अंकित के घर के पास रहने वाले उनके पड़ोसियों के मुताबिक, "घटना वाली शाम अंकित घर के बाहर की भीड़ को समझा कर शांत करवाने गए थे. उसी वक्त भीड़ ने उन्हें अपने बीच घसीट लिया. उसके बाद से अंकित का कोई पता नहीं चला था. बुधवार को सुबह के वक्त अंकित का शव चांद बाग पुलिया के पास नाले में पड़ा मिला." अंकित को भीड़ ने किस कदर निर्ममता से मारा? इसकी गवाही उनके बदन पर मौजूद ईंट-पत्थरों से लगी चोटों के निशान देते हैं. अंकित के बदन में कई जगह गंभीर घाव मिले हैं. इतना ही नहीं भीड़ ने हर हाल में अंकित की मौत सुनिश्चित करने के इरादे से उनके बदन में गोलियां भी उतारीं.
Source : IANS
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