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Delhi Violence: दंगाग्रस्त उत्तर-पूर्वी दिल्ली में स्थिति शांतिपूर्ण, जनजीवन धीरे-धीरे हो रहा सामान्य

दिल्ली हिंसा के दौरान उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, पेट्रोल पंपों को फूंक दिया और स्थानीय लोगों तथा पुलिसकर्मियों पर पथराव किया.

Updated on: 29 Feb 2020, 10:36 PM

नई दिल्ली:

उत्तर-पूर्वी दिल्ली के दंगाग्रस्त इलाकों में शनिवार को स्थिति शांतिपूर्ण रही. इन क्षेत्रों में अब जनजीवन धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है. सुरक्षाकर्मियों की व्यापक गश्त के बीच खुलीं कुछ दुकानों से किराने का सामान और दवाइयां खरीदने के लिए लोग अपने घरों से बाहर निकले. स्थानीय निवासी इस सप्ताह की शुरुआत में इलाके में हुए सांप्रदायिक दंगों में पहुंचे नुकसान से धीरे-धीरे उबरने की कोशिश कर रहे हैं. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, चांदबाग, मुस्तफाबाद, भजनपुरा, शिव विहार, यमुना विहार इलाकों में हिंसा में 42 लोगों की मौत हुई है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं. हिंसा के दौरान संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचा है.

दिल्ली हिंसा के दौरान उग्र भीड़ ने मकानों, दुकानों, वाहनों, पेट्रोल पंपों को फूंक दिया और स्थानीय लोगों तथा पुलिसकर्मियों पर पथराव किया. सांप्रदायिक हिंसा में सबसे बुरी तरह प्रभावित इन इलाकों में पिछले पांच दिनों की तुलना में सड़कों पर अधिक वाहन और लोग दिखे. कई इलाकों में आज सुबह से ही नगर निगम के कर्मचारियों को ईंटों, कांच के टुकड़े और जले हुए वाहनों को हटाते देखा गया. कुछ स्थानों पर, यहां तक कि बुलडोजर का भी इस्तेमाल किया गया क्योंकि मलबे को हाथ से हटाना मुश्किल था. दिल्ली पुलिस और अर्धसैनिक बलों के कर्मियों ने लोगों को अपनी दुकानें खोलने के लिए प्रोत्साहित किया और शांति तथा सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने की अपील की.

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जाफराबाद में सुरक्षाकर्मियों ने किया फ्लैग मार्च
सुरक्षाकर्मियों ने जाफराबाद में फ्लैग मार्च किया और मौजपुर तथा फिर नूर-ए-इलाही, यमुना विहार और भजनपुरा की संकरी गलियों में गए, जहां इस सप्ताह के शुरू में भीड़ ने दुकानों, मकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की और उनमें आग लगा दी थी. उत्तर-पूर्वी दिल्ली के स्कूल अभी भी बंद हैं. हिंसा के मद्देनजर सात मार्च तक स्कूल बंद रहेंगे. अधिकारियों के अनुसार हिंसा प्रभावित क्षेत्रों में परीक्षाएं आयोजित कराने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं है, इसलिए वार्षिक परीक्षाओं को भी स्थगित कर दिया गया है. एक शोरूम के मालिक, जिनकी संपत्ति पर दंगों के दौरान हमला हुआ था, ने मीडिया से बातचीत में बताया, ‘आज केवल छोटी दुकानें ही खुली हैं. बड़ी दुकानें और शोरूम अभी भी नहीं खुले हैं और उनके मालिक सतर्क हैं.’ नूर-ए-इलाही के रहने वाले शाकिब ने कहा कि ठेले पर सब्जियां बेचने वाले लोग कॉलोनियों के चक्कर लगाते हैं. उनमें से बहुत कम नजर आ रहे हैं, लेकिन कम से कम उन्होंने बिक्री फिर से शुरू कर दी है.

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दंगाग्रस्त इलाके में दुकानें और प्रतिष्ठान खुले
यमुना विहार के निवासी अमित तंवर ने कहा कि स्थिति में सुधार हुआ है और दिन में किराने की दुकानें और अन्य दुकानें खुलीं. उन्होंने बताया कि हालांकि, रेस्तरां जैसे कुछ प्रतिष्ठान अभी भी खुले नहीं हैं क्योंकि उनके कर्मी काम पर नहीं आए हैं. सुरक्षाकर्मी फ्लैग मार्च निकाल रहे हैं और स्थानीय लोगों का डर खत्म करने के लिए रोज उनसे बातचीत कर रहे हैं. वे स्थानीय निवासियों से सोशल मीडिया पर अफवाहों पर ध्यान न देने तथा इस संबंध में पुलिस में शिकायत करने का अनुरोध कर रहे हैं. इस बीच, सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार एक व्हाट्सएप नंबर जारी करने पर विचार कर रही है जिस पर लोग इस मैसेजिंग एप पर प्रसारित किए जा रहे घृणा संदेशों के बारे में शिकायत कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि सरकार लोगों से ऐसे संदेश आगे न भेजने की अपील करती है क्योंकि समुदायों के बीच शत्रुता पैदा करने वाले ऐसे संदेशों को प्रसारित करना एक अपराध है. इस कदम का मकसद सोशल मीडिया पर अफवाहों से निपटना है.

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हिंसा के मामलों की जांच के लिए दल गठित किया गया
इस बीच, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक हिंसा के मामलों की जांच करने के लिए तथ्यान्वेषी दल का गठन किया है. सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) अपने कांस्टेबल मोहम्मद अनीस का घर फिर से बनवाएगा जिसे दंगों में जला दिया गया था. अर्द्धसैनिक बल इसे विवाह के उपहार के तौर पर उन्हें सौंपेगा. बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 29 वर्षीय कांस्टेबल फिलहाल पश्चिम बंगाल के सिलिगुड़ी के पास राधाबारी में पदस्थापित हैं और बहुत जल्द उनका तबादला दिल्ली होगा ताकि वह अपने परिवार के साथ रह सकें और अपनी शादी की तैयारियां कर सकें.

'आप' मंत्री सत्येंद्र जैन दंगा पीड़ितों से मिलने अस्पताल पहुंचे
दंगा पीड़ितों के रिश्तेदार गुरु तेग बहादुर अस्पताल के शवगृह के बाहर अपने परिजनों के शव मिलने के इंतजार में बैठे हैं. अड़तालीस वर्षीय मदीना का बेटा मंगलवार से हिंसा के बाद से लापता है, जो यह पता लगाने के लिए पुलिस थानों की चक्कर लगा रही हैं कि उनका बेटा जिंदा है या नहीं. बुधवार से जीटीबी अस्पताल का चक्कर लगा रहे बिजनौर के मोहम्मद कादिर अपने 18 वर्षीय भाई आफताब की तलाश कर रहे हैं. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन सांप्रदायिक हिंसा में घायल हुए लोगों से मिलने के लिए शनिवार को जीटीबी अस्पताल पहुंचे.

दंगे में पीड़ित परिवारों ने निकाला मार्च
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों से पहले कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने को लेकर आलोचना का सामना कर रहे भाजपा नेता कपिल मिश्रा और हिंसा के शिकार कुछ पीड़ितों के परिवारों ने शनिवार को कनॉट प्लेस में जिहादी आतंकवाद के खिलाफ शांति मार्च निकाला. इस दौरान कुछ लोगों ने ‘देश के गद्दारों को गोली मारो...’ के नारे लगाए. एनजीओ दिल्ली पीस फोरम ने इसका आयोजन किया था. जंतर-मंतर से संसद मार्ग थाने तक शनिवार को निकाले गए ‘शांति मार्च’ के दौरान मिश्रा ने न तो नारेबाजी की और न ही सभा को संबोधित किया. जंतर-मंतर पर सैकड़ों की संख्या में जुटे लोगों के हाथ में तिरंगा था और वे ‘जय श्रीराम’, ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रहे थे.