पाकिर्ंसन जैसी बड़ी बीमारी पर विश्व स्तरीय रिसर्च करने के लिए प्रसिद्ध देश की सबसे बड़ी सेंट्रल यूनिवर्सिटी, दिल्ली विश्वविद्यालय ने अब पंचांग बनाया है। दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा बनाया गया यह पंचांग जल्दी से देशभर के सभी छात्रों से सांझा किया जाएगा। आरएसएस के वरिष्ठ नेताओं में शुमार रामलाल की मौजूदगी में दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर योगेश सिंह 28 अप्रैल को यह पंचांग जारी करेंगे।
दिल्ली विश्वविद्यालय वैल्यू एडीशन कोर्सेस कमिटी ने यह पंचांग तैयार किया है। वैल्यू एडिशन कमेटी के अध्यक्ष प्रोफेसर निरंजन कुमार ने आईएएनएस से कहा, मैकाले के प्रभाव में हमारे शिक्षा संस्थानों ने भारतीय ज्ञान परंपरा की इस समृद्ध थाती की सदा अनदेखी की। हमारा प्राचीन पंचांग, पश्चिमी ज्ञान पर आधारित प्रचलित कैलेंडर से अधिक विकसित, अधिक वैज्ञानिक और अधिक सूचनाप्रद है। दिल्ली विवि कीवैल्यू एडीशन कोर्सेस कमिटी इस विषय में एक नया इतिहास रचने की तैयारी में है।
प्रोफेसर निरंजन का कहना है कि दुर्भाग्य से हमारे घरों से और युवाओं के मन से पंचांग गायब ही हो चुका है। दिल्ली विश्वविद्यालय इस पंचांग के माध्यम से छात्रों को भारतीय ज्ञान व्यवस्था से जोड़ने का प्रयास कर रहा है। पश्चिमी ज्ञान से चलित वर्तमान कैलेंडर में केवल तिथि, वार छुट्टियों की जानकारी भर होती है पर प्राचीन भारतीय पंचांग में तिथि, वार के अलावा करण, नक्षत्र एवं योग, और साथ ही हमारे सारे पर्व-त्योहार व अन्य महत्वपूर्ण तिथियां भी रहती हैं।
डीयू शताब्दी वर्ष में यह पंचांग ला रहा है, दिल्ली विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान मौजूद हर व्यक्ति को यह पंचांग निशुल्क दिया जाएगा। दिल्ली विश्वविद्यालय का कहना है को दिल्ली विश्वविद्यालय न केवल पंचांग जारी करने जा रहा है, बल्कि वह इसके साथ ही भारतीय पंचांग को लेकर महžव तथा भारतीय ज्ञान परंपरा में पंचांग के गणितीय गणनाओं की सटीकता के बारे में भी छात्रों को बताएगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय शताब्दी वर्ष के अवसर पर 28 अप्रैल को दोपहर 3 बजे विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हॉल, वीसी ऑफिस में भारतीय ज्ञान परंपरा विषय पर केंद्रित पंचांग जारी करने जा रहा है। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रामलाल (अखिल भारतीय संपर्क प्रमुख, आर.एस.एस) होंगे और अध्यक्षता कुलपति प्रो. योगेश सिंह करेंगे।
कार्यक्रम के संयोजक और डीयू की वैल्यू एडीशन कोर्सेस कमिटी के अध्यक्ष प्रो. निरंजन कुमार ने इसे एक ऐतिहासिक घटना बताते हुए कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के ज्ञात इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब डीयू भारतीय प्राचीन ज्ञान के प्रचार-प्रसार हेतु पंचांग जारी कर रही है। पश्चिमी ढंग के कैलेंडर से आगे भारतीय पंचांग में तिथि, वार के अलावा करण, नक्षत्र एवं योग के साथ- साथ सभी पर्व-त्यौहार व महžवपूर्ण तिथियां भी रहती है। उनका कहना है कि दुर्भाग्यवश हमारे घरों और युवाओं के मन से पंचांग गायब हो चुका है। ऐसे में छात्रों को समृद्ध प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा से परिचय कराने में यह पंचांग एक उपयोगी कदम होगा।
दिल्ली विश्वविद्यालय में पंचांग से जुड़े अपने इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के सभी उच्च पदाधिकारियों, डीन, कुलसचिव, विभागाध्यक्ष, प्राचार्य, संकाय सदस्य, शिक्षक, शोधार्थी, छात्र और समाज के अन्य संस्कृति और साहित्य से जुड़े लोगों को आमंत्रित किया है।
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Source : IANS