नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) ने मांग की है कि यूजीसी, एनईपी के तहत दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों का अधिग्रहण करे। दिल्ली विश्वविद्यालय के एनडीटीएफ के मुताबिक, दिल्ली सरकार के पूर्ण और आंशिक रूप से वित्त पोषित कॉलेजों में अनियमित वेतन, अपर्याप्त ग्रांट व अन्य सुविधाओं से वंचित कॉलेजों की समस्या का एक ही समाधान है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग इन कॉलेजों का अधिग्रहण कर ले। एनडीटीएफ अध्यक्ष प्रो भागी ने दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ शिक्षकों के समायोजन और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के आरक्षण लागू होने के फलस्वरूप शिक्षकों और कर्मचारियों के अतिरिक्त पद शीघ्र जारी कराने की मांग की।
शिक्षकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिल्ली विश्वविद्यालय की मांगों को लेकर सांसद मनोज तिवारी और प्रवेश वर्मा से मुलाकात की। एनडीटीएफ अध्यक्ष प्रो ए.के. भागी ने सांसद मनोज तिवारी को दिल्ली सरकार के बारह पूर्ण वित्त पोषित कॉलेजों में कई वर्षों से चली आ रही ग्रांट और वेतन अनियमितता की समस्या से अवगत कराते हुए इसे नियमित रूप से जारी कराने का अनुरोध किया।
प्रो भागी ने सांसदों से मांग की कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा दिल्ली सरकार वित्त पोषित बारह कॉलेजों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अपने अधीन लेने और केंद्र सरकार द्वारा इनके पूर्ण वित्त पोषण से ही यह समस्या हल हो सकती है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में कॉलेजों को सम्बद्ध करने का प्रावधान किया गया है। प्रो भागी ने सांसदों को अवगत कराया कि बारह कॉलेजों के अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के बीस कॉलेजों को दिल्ली सरकार पांच प्रतिशत अनुदान देती है। इन बीस कॉलेजों को भी पूर्ण रूप से विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अधिग्रहण कराने की मांग भी की गई।
सांसदों ने सभी मुद्दों पर शीघ्र कार्रवाई का आश्वासन दिया। प्रो भागी ने दिल्ली सरकार द्वारा पूर्ण रूप से वित्त पोषित बारह कॉलेजों में लैब, शौचालय, जर्जर इमारत सहित पूरी ग्रांट न मिलने से मेडिकल व एरियर्स आदि समय पर न दिए जाने का मुद्दा भी सांसद महोदय के समक्ष रखकर समाधान कराने का आग्रह किया। भागी ने कॉलेज ऑफ आर्ट्स को दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन लेने की मांग भी की।
प्रो भागी ने बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में साढ़े चार हजार के करीब तदर्थ शिक्षक कार्य कर रहे हैं। नेशनल डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट इनके समायोजन के लिए अथक प्रयास कर रहा है। यूजीसी से आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों का आरक्षण लागू होने के फलस्वरूप बढ़े कार्यभार के लिए शिक्षकों और कर्मचारियों हेतु अतिरिक्त पद जारी कराने और केंद्र सरकार से दिल्ली विश्वविद्यालय में काम करने वाले तदर्थ शिक्षकों का एकबारगी समायोजन करवाने की मांग की गई है।
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Source : IANS