दिल्ली विश्वविद्यालय में 24 जून से प्रोफेसर्स की नियुक्ति की प्रक्रिया होगी शुरू
दिल्ली विश्वविद्यालय में 24 जून से प्रोफेसर्स की नियुक्ति की प्रक्रिया होगी शुरू
नई दिल्ली:
दिल्ली विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी स्क्रीनिंग व स्कूटनी का काम शुरू हो रहा है। इस कड़ी में श्री गुरुतेग बहादुर खालसा कॉलेज ने सहायक प्रोफेसर के पदों की स्क्रीनिंग व स्कूटनी करने के बाद यहां शुक्रवार 24 जून से स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो रही है। दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध कॉलेज देशबंधु कॉलेज, हंसराज कॉलेज, स्वामी श्रद्धानंद कॉलेज व दयालसिंह कॉलेज (सांध्य) में स्क्रीनिंग का कार्य पूरा हो चुका है। इसके अलावा दो दर्जन कॉलेजों में स्कूटनी व स्क्रीनिंग का कार्य चल रहा है।शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन (डीटीए) ने लंबे समय से कॉलेजों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू किए जाने पर खुशी जाहिर करते हुए कहा है कि पिछले लगभग एक दशक से इन कॉलेजों में एडहॉक टीचर्स काम कर रहे हैं इनके स्थायी होने पर शैक्षिक व शोध कार्यों में गुणवत्ता बढ़ेगी।
दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि श्री गुरुतेग बहादुर खालसा कॉलेज ने कॉलेज वेबसाइट पर जिन अभ्यर्थियों को स्क्रीनिंग प्रक्रिया के तहत शॉर्ट लिस्ट किया गया है उनको साक्षात्कार की तिथि और समय ईमेल द्वारा भेज दिया गया है। सबसे पहले गणित विभाग में सहायक प्रोफेसर के साक्षात्कार 24 जून से शुरू होकर 27 जून तक चलेंगे। अभ्यर्थी किसी तरह की जानकारी या साक्षात्कार संबंधी किसी भी पूछताछ के लिए कॉलेज की वेबसाइट पर दिए गए ईमेल से संपर्क कर सकते हैं। इसके बाद कॉलेज के अन्य विभागों में स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलती रहेगी।
डॉ. सुमन ने बताया है कि डीयू के कॉलेजों में परमानेंट टीचर्स से ज्यादा एडहॉक टीचर्स काम कर रहे हैं। राजनीति के चलते वर्षों से सेवानिवृत्तियों के बावजूद स्थायी नियुक्तियां संभव नहीं हुई जिसके कारण एडहॉक शिक्षकों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
डॉ. हंसराज सुमन ने माना है कि उच्च शिक्षा व्यवस्था को विश्व स्तरीय बनाने के केंद्र सरकार के अनेक प्रयासों के बावजूद दिल्ली विश्वविद्यालय अपने आंतरिक राजनीतिक कलह के कारण स्थायी नियुक्ति न करके एडहॉकइज्म को बरकरार रखा, जिसके कारण एक ओर विश्वविद्यालय से सम्बद्ध कॉलेजों में पांच हजार से अधिक उच्च शिक्षा प्राप्त शिक्षकों के भविष्य को नष्ट करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय द्वारा अपना सर्वोत्तम प्रदर्शन करने से वंचित कर दिया जिसका खामियाजा विद्यार्थियों से लेकर शिक्षकों की कई पीढ़ियों तक भुगतना पड़ेगा। हालांकि देर आए दुरुस्त आए कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह की नेतृत्व में यदि इन स्थायी नियुक्तियों का कार्य सम्पन्न होता है तो विश्वविद्यालय खोई गरिमा को फिर से पा सकता है।
दिल्ली सरकार के अधिकांश कॉलेजों में लंबे समय से कुछ में 5 साल या उससे अधिक से प्रिंसिपल के पद खाली पड़े हुए हैं। हालांकि प्रिंसिपल पदों पर नियुक्ति हो रही है। इसी तरह से प्रिंसिपलों के पदों पर नियुक्ति होंगी तो टीचिंग व नॉन टीचिंग की परमानेंट वेकेंसी भरी जा सकेंगी।
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