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दीवाली पर नहीं मिला डीयू के कई शिक्षकों को वेतन, यूजीसी से अधिग्रहण की गुहार

दीवाली पर नहीं मिला डीयू के कई शिक्षकों को वेतन, यूजीसी से अधिग्रहण की गुहार

Updated on: 05 Nov 2021, 02:05 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर्स चाहते हैं कि यूजीसी दिल्ली विश्वविद्यालय के 12 कॉलेजों के संबंध में कोई सख्त एवं निर्णायक फैसला ले। दरअसल डीयू के इन 12 कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ व अन्य कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला है। दिल्ली विश्वविद्यालय के यह सभी कॉलेज दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के मुताबिक इन कॉलेजों के शिक्षकों के लिए यह काली दीवाली थी।

डूटा अध्यक्ष राजीब रे ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के इन कॉलेजों में पढ़ाने वाले प्रोफेसर्स, शिक्षकों एवं गैर शैक्षणिक कर्मचारियों की स्थिति को लेकर बार-बार दिल्ली सरकार एवं प्रशासन को स्मरण कराया गया है।

डूटा का कहना है कि डीयू के इन 12 कॉलेजों के कर्मचारियों के लिए यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण अवसर है। इन कॉलेजों को दिल्ली सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित किया जाता है, और इसी वित्त पोषित से उन्हें वेतन मिलता है।

दिल्ली विश्वविद्यालय की इन कॉलेजों में अब स्थिति यह है कि यहां कई महीनों से वेतन का भुगतान नहीं किया गया है। डूटा के मुताबिक बार-बार विरोध और अनुस्मरण के बावजूद इन कर्मचारियों की देखभाल के लिए सरकार या प्रशासन कोई उचित कार्रवाई नहीं कर रहा है।

डूटा के सचिव राजिंदर सिंह ने बताया कि इनमें से कई कॉलेजों में कर्मचारियों को पिछले पांच महीने से वेतन नहीं मिला है। टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को समझ नहीं आ रहा है कि बार-बार वेतन रुकने के कारण इस बार-बार होने वाले संकट से कैसे निपटा जाए। दिल्ली सरकार द्वारा अनुदान रोकने के कारण वेतन में होने वाला विलंब शर्मनाक और निंदनीय है।

डूटा का कहना है कि एक और सरकार एवं विश्वविद्यालय प्रशासन इन कॉलेजों के कर्मचारियों का हितैषी होने का दावा करता है। वहीं इस प्रकार से महीनों वेतन का भुगतान न करना इन कॉलेजों के कर्मचारियों के बुनियादी मानवाधिकार पर एक बड़ा हमला है।

शिक्षकों का भी मानना है कि डूटा द्वारा आयोजित की गई हड़ताल और मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र का भी मुख्यमंत्री एवं दिल्ली के शिक्षा मंत्री पर कोई असर नहीं पड़ा है। त्योहारों का मौसम खुशी और उल्लास का मौका होता है लेकिन दिल्ली सरकार को इन बेबस कर्मचारियों की कोई चिंता नहीं दिखती।

डूटा अध्यक्ष राजीब रे ने बताया कि ने 20 अक्टूबर को दिल्ली के नए कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह के साथ बैठक में उन्हें मामले से अवगत कराया गया था। कुलपति से से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की गई थी। हालांकि इससे भी शिक्षकों को कोई राहत नहीं मिली है।

दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ अब यूजीसी से इन सभी 12 कॉलेजों को के अधिग्रहण की मांग कर रहा है। डूटा अध्यक्ष का कहना है कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित इन कॉलेजों में भारी अव्यवस्था है। खास तौर पर अनुदान को लेकर कोई नियम कायदे नहीं है। ऐसी स्थिति में यूजीसी को शिक्षकों एवं छात्रों के भविष्य के मद्देनजर तुरंत इन कॉलेजों का अधिग्रहण कर लेना चाहिए।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.