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डीयू के कुलपति ने उपराष्ट्रपति से की मुलाकात

डीयू के कुलपति ने उपराष्ट्रपति से की मुलाकात

Updated on: 26 Oct 2021, 10:15 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने शुक्रवार को देश के उपराष्ट्रपति से मुलाकात की। दिल्ली विश्वविद्यालय के नवनियुक्त कुलपति ने उप-राष्ट्रपति निवास जाकर उनसे मुलाकात की।

प्रोफेसर योगेश सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के नए कुलपति के रूप में कार्यभार ग्रहण कर लिया। प्रोफेसर योगेश सिंह नेताजी सुभाष इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के डायरेक्टर और विभिन्न विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर रह चुके हैं।

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में एक बार फिर से उच्च मेरिट सूची में कुछ कड़े नियम और शर्तों के साथ मंगलवार से प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा जारी एक विशेष कट ऑफ के माध्यम से छात्रों को दाखिला दिया जाएगा। यह प्रक्रिया उन छात्रों के लिए है जो पहली, दूसरी, तीसरी कट ऑफ के आधार पर दाखिला लेने के लिए योग्य तो थे लेकिन किन्हीं कारणों से प्रवेश नहीं ले सके।

दिल्ली विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता के मुताबिक द्वारा जारी की गई स्पेशल कट ऑफ लिस्ट के आधार पर दाखिले के लिए 26 अक्टूबर सुबह 10 बजे से 27 अक्टूबर मध्य रात्रि तक आवेदन किया जा सकेगा। रजिस्ट्रार के मुताबिक विभिन्न कॉलेज 28 अक्टूबर तक योग्य आवेदनों को दाखिले की मंजूरी देंगे। जबकि फीस का भुगतान 29 अक्टूबर तक किया जा सकता है।

दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति बनने से पहले प्रोफेसर योगेश सिंह दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (डीटीयू) के कुलपति थे। गुरुवार 7 अक्टूबर को उन्हें डीटीयू के कुलपति पद से मुक्त कर दिया गया गया। इसके उपरांत अगले दिन उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति का पद ग्रहण किया।

दिल्ली विश्वविद्यालय में बीते लगभग 1 वर्ष से प्रोफेसर पीसी जोशी कार्यवाहक कुलपति के तौर पर काम कर रहे थे।

वहीं मंगलवार को ही केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने एक महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष यात्री बनिता दास से मुलाकात की। बनिता दास ने हवाई में स्थित एक क्षुद्रग्रह की खोज की है।

क्षुद्रग्रह को नासा, हार्डिन-सीमन्स विश्वविद्यालय और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग द्वारा मान्यता दी गई है।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि मुझे यह भी बताया गया है कि क्षुद्रग्रह को नासा, हार्डिन-सीमन्स विश्वविद्यालय और अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय खोज सहयोग द्वारा मान्यता दी गई है। भारतीय युवाओं का अभिनव उत्साह, विशेष रूप से बनिता का कार्य काफी उत्साहजनक है।

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