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एडहॉक टीचर्स की तरह जोड़ा जाए अतिथि शिक्षकों का अनुभव : शिक्षक संगठन

एडहॉक टीचर्स की तरह जोड़ा जाए अतिथि शिक्षकों का अनुभव : शिक्षक संगठन

Updated on: 06 Sep 2021, 10:05 PM

दिल्ली:

दिल्ली विश्वविद्यालय के कई शिक्षकों ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के चेयरमैन प्रोफेसर डी.पी. सिंह को पत्र लिखा है। इस पत्र के जरिए शिक्षकों ने कहा है कि जिस तरह से विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में स्थायी नियुक्ति के समय एडहॉक टीचर्स के शिक्षण अनुभव को जोड़ा जाता है, उसी तरह से अतिथि शिक्षकों को भी नियुक्ति व प्रमोशन में वरीयता दिए जाए।

शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन का कहना है कि स्थायी नियुक्तियों के समय अतिथि शिक्षकों के शिक्षण अनुभव को कोई भी शिक्षण संस्थान कॉलेज नहीं मानते है। जबकि उनकी योग्यता किसी भी स्तर पर कम नहीं है।

डीटीए के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने यूजीसी चेयरमैन को लिखे पत्र में बताया कि नए नियमों के अनुसार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति एडहॉक टीचर्स से ज्यादा पेचीदा हैं। नए नियमों के अनुसार अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के समय दो विषय विशेषज्ञ ( सब्जेक्ट्स एक्सपर्ट ) ऑब्जर्वर ,वाइस चांसलर नॉमिनी ,चेयरमैन ,विभाग प्रभारी और प्रिंसिपल सलेक्शन कमेटी में बैठते हैं। वहीं एडहॉक टीचर्स की नियुक्ति में कॉलेज प्रिंसिपल ,विभाग प्रभारी ,वरिष्ठ शिक्षक व ऑब्जर्वर ही नियुक्ति करते हैं।

दिल्ली विश्वविद्यालय में दो तरह की गेस्ट फैकल्टी है एक जो प्रिंसिपल के द्वारा नियुक्ति होती है जिसे अधिकतम 25 हजार रुपये दिए जा सकते हैं और दूसरे वह जिसमें यूजीसी द्वारा जनवरी 2019 के बाद आई अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति संबंधी गाइडलाइंस ,जिसके अंतर्गत 50 हजार रुपये तक दिए जा सकते हैं।

डॉ. सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में दोनों तरह के अतिथि शिक्षक है जबकि राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय ( एसओएल ) व नॉन कॉलेजिएट वीमेंस एजुकेशन बोर्ड ( एनसीवेब ) में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को एक सेमेस्टर में 25 दिन दिए जाते हैं। इसमें प्रति दिन 2 क्लासेज लेनी पड़ती है ,वहीं दूसरे सेमेस्टर में भी यहीं नियम है। लेकिन एसओएल में एक सेमेस्टर में 20 क्लासेज दी जाती है। इन दोनों स्थानों पर यूजीसी के नियमानुसार 1500 प्रति लेक्च र के हिसाब से मानदेय दिया जाता है।

इस समय दिल्ली विश्वविद्यालय में 4000 अतिथि शिक्षक है जो एसओएल ,नॉन कॉलेजिएट वीमेंस बोर्ड व रेगुलर कॉलेजों में पढ़ा रहे हैं। नॉन कॉलेजिएट में लगभग 1300 शिक्षक ( 26 सेंटर ) एसओएल में लगभग 1500 शिक्षक व रेगुलर कॉलेजों में 1100 अतिथि शिक्षक है। इसके अलावा दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों में इग्नू की क्लासेज भी लगती है जिसमें अतिथि शिक्षकों की भांति एकेडेमिक काउंसलर रखे जाते हैं।

डॉ. सुमन ने बताया है कि इन अतिथि शिक्षकों की योग्यता व एडहॉक शिक्षकों की योग्यता में कोई अंतर नहीं है बल्कि यूजीसी द्वारा 2019 के बाद नियुक्ति संबंधी जो प्रक्रिया है वह ज्यादा कठिन है। एडहॉक शिक्षकों की नियुक्तियों के लिए भी एमए, एमकॉम, एमएससी, नेट जेआरएफ होना अनिवार्य है तो वहीं अतिथि शिक्षकों के लिए भी। एम. फिल व पीएचडी अतिरिक्त योग्यता है। दोनों को बराबर कार्य करना पड़ता है एडहॉक शिक्षकों की भांति उन्हें भी ,एग्जामिनेशन ड्यूटी ,परीक्षा मूल्यांकन, असाइनमेंट चेक करना, उनके अंक लगाना आदि कार्य करने पड़ते हैं। एसओएल व नॉन कॉलेजिएट की कक्षाएं शनिवार और रविवार के अलावा जब रेगुलर कॉलेजों की छुट्टियां होती है तब लगती है।

इसी को देखते हुए यूजीसी से मांग की गई है कि नियुक्ति और प्रमोशन के समय अतिथि शिक्षकों को शिक्षण अनुभव का लाभ देते हुए नियुक्ति की जाए।

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ न्यूज नेशन टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.