परीक्षा पात्रता व प्रवेश परीक्षा नीट के आयोजन पर दिल्ली विश्वविद्यालय में शुक्रवार को एक ऑनलाइन पब्लिक टॉक का आयोजन किया गया। छात्रों के लिए यह पब्लिक टॉक आप दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र संगठन सीवाईएसएस ने आयोजित किया। इसमें मुख्य रूप से नीट में ओबीसी आरक्षण को लेकर ऑनलाइन पब्लिक टॉक कराई गई।
इस पब्लिक टॉक में दिल्ली सरकार के सामाजिक कल्याण मंत्री राजेंद्र पाल गौतम, दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर हंसराज सुमन, सीवाईएसएस के नेशनल कोऑर्डिनेटर अनुराग निगम एवं सीवाईएसएस के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष चंद्रमणि, विभिन्न विभागों कॉलेजों की यूनिट के छात्र उपस्थित रहे।
दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा संचालित इस कार्यक्रम में राजेंद्र पाल गौतम ने कहा कि सरकार नीट की परीक्षा में जानबूझकर ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं कर रही है। सरकार की इस मानसिकता के कारण ओबीसी कैटेगरी के हजारों विद्यार्थी अपना हक खो चुके हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि रोस्टर प्वाइंट सिस्टम से समाज के वंचित वर्ग जैसे एससी, एसटी, ओबीसी के साथ सबसे अधिक अन्याय होता है। देश में ओबीसी समुदाय की जनसंख्या 50 फीसदी से अधिक है लेकिन उनको उनका हक नहीं दिया गया है।
प्रोफेसर हंसराज सुमन ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार आरक्षण को खत्म करना चाहती है। पिछले सात सालों में हमने आरक्षण पर अनेकों प्रहार होते हुए देखे हैं। सरकार देश के गरीब, पिछड़ों, वंचित वर्गो के खिलाफ दमन की नीति अपनाई जा रही है।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि यदि सरकार नीट में ओबीसी आरक्षण सुनिश्चित नहीं करती है, तो छात्र सड़कों पर उतरेंगे एवं जब तक पिछड़ों को उसका प्रतिनिधित्व नहीं मिल जाता तब तक छात्रों को अपना संघर्ष जारी रखना चाहिए।
डॉ सुमन ने बताया कि पिछड़ा वर्ग आरक्षण संविधान के भाग 16 और अनुच्छेद 340 के आधार पर सन 1991 में मंडल कमीशन के माध्यम से लागू किया गया। मंडल कमीशन की रिपोर्ट में यह पाया गया कि पिछड़ा वर्ग की सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक स्थिति अनुकूल नहीं है, इसलिए प्रशासन में इनकी पूरी भागीदारी भी नहीं है। इस स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने पिछड़ा वर्ग समाज के लोगों को 27 फीसदी आरक्षण दिया था।
उनका कहना है कि हर साल विश्वविद्यालयों, कॉलेजों में ओबीसी कोटे की सीटें आरक्षण नीति के हिसाब से नहीं भरी जाती ,सीटें खाली रखी जाती है और कहा जाता है कि छात्र उपलब्ध नहीं हुए।
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Source : IANS