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सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शुरू होगी एफवाईयूपी की प्रक्रिया

सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शुरू होगी एफवाईयूपी की प्रक्रिया

Updated on: 04 Sep 2021, 01:20 AM

दिल्ली:

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय चाहता है कि अब देश के सभी 45 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 3 और 4 वर्षीय ग्रेजुएशन एवं एक और 2 वर्षीय पीजी पर चर्चा शुरू हो जाए और इस पर इंप्लीमेंटेशन शुरू हो जाए ताकि इस पर आगे बढ़ सकें।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि इस बार नई शिक्षा नीति के अंतर्गत 3 साल का डिग्री कोर्स, अल्टरनेटिव में 4 वर्षीय डिग्री कोर्स ऐसे ही पोस्ट ग्रेजुएशन में डिग्री कोर्स 2 साल और 1 साल है। शिक्षा मंत्री ने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि आपको यह ऑटोनॉमी है कि आप यह कैसे करें। यह आप पर निर्भर है कि आप इसको कैसे रोलआउट करेंगे। अगले साल तक सभी लोग इस विषय पर अपनी अपनी प्रक्रिया तय कर लें।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि इसमें समय लगता है लोग अपना अपना विचार रखेंगे। वह अपने स्थान पर सही और गलत हो सकते हैं। लेकिन शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री देश के सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ बैठक की। इस दौरान नई शिक्षा नीति, ऑनलाइन पाठ्यक्रम, विश्व विद्यालयों में रिक्त पड़े पद समेत कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई

शिक्षा मंत्रालय के अनुसार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के 6229 पद खाली पड़े हैं। इनमें से 1012 एससी कैटेगरी से हैं। 592 एसटी, 767 ओबीसी, 805 ईडब्ल्यूएस और 350 दिव्यांग श्रेणी के पद हैं। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक अब इन पदों को मिशन मोड में भरा जाएगा और सभी केंद्रीय विद्यालय अपने यहां खाली पड़े पदों के लिए तुरंत विज्ञापन निकालेंगे।

शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि सितंबर महीना एक तरीके से शिक्षक पर्व है। शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट निर्देश देते हुए सभी विश्वविद्यालयों को कहा है कि 6,7,8,9,10 सितंबर तक सभी विश्वविद्यालयों को इन खाली पड़े पदों के लिए विज्ञापन निकालने होंगे, ताकि खाली पड़े सभी पद भरे जा सके। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि हमें मिशन मोड पर खाली पड़े पदों को भरना है।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि छात्र रिबेलीयन रहेगा ही लेकिन सबको अनुशासन में रहना है। लोकतंत्र में थोड़ा बहुत सभी को समाहित करना ही होता है। सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को यह ध्यान रखना होगा कि विश्वविद्यालयों का जो मूल कार्य है यानी कि पठन-पाठन उसमें किसी प्रकार का अवरोध नहीं उत्पन्न होना चाहिए।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालयों के सामने महत्वाकांक्षी योजना एबीसी यानी एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट रखा गया है। कुछ विश्वविद्यालय की कैटेगरी में नहीं आए हैं लेकिन कुछ विश्वविद्यालय इसके श्रेणी में आ गए हैं।

शिक्षा मंत्री ने इस दौरान बताया कि मंत्रालय ने सीबीएसई, एनसीईआरटी, यूजीसी, एआईसीटीई, और कौशल मंत्रालय समेत सात संस्थाओं की एक संयुक्त ड्राइव शुरू किया है।

दरअसल नई शिक्षा नीति के अंतर्गत यह तय किया गया है कि कौशल एवं रोजगार परक शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा जैसे कि मैंने अभी बताया कि जापानी भाषा हमारे लिए अतिरिक्त कौशल होना चाहिए।

यदि कोई छात्र इंग्लिश लिटरेचर में पीजी करने के बाद जापानी भाषा पढ़ता है तो यह उसके लिए अतिरिक्त कौशल है। आने वाले समय में भारत में जापान भारत में बुलेट ट्रेन लेकर आ रहा है ऐसे में ऐसे में हाई एंड मैनेजमेंट समेत कई कंसलटेंट समेत कई ऊंचे पदों पर युवाओं को अवसर मिल सकेंगे।

शिक्षा मंत्री ने विशेष जोर देते हुए कहा कि क्रेडिट रेटिंग की व्यवस्था को जोड़ना, एबीसी के फ्रेमवर्क को खड़ा करना, मल्टीपल एंट्री एग्जिट के फ्रेम वर्क को खड़ा करना महत्वपूर्ण कार्य हैं। मैं चाहता हूं कि हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालय इन योजनाओं इसकी पायनियर रहे।

ऑनलाइन शिक्षा पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि शुरूआत में दाखिले के पंजीकरण से लेकर कॉलेज के अंत तक शिक्षा मंत्री ने कहा एग्जामिनेशन रिओरियंटेशन एग्जामिनेशनयह सारा विषय आज के दिन में मजबूत करना पड़ेगा पूरे भारत के स्तर पर एक तकनीकी फोरम की कल्पना हुई है। इसको लेकर एनडीआर बनेगा जो एजुकेशन का आधार होगा।

शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से कहा कि जितना ज्यादा आपका संपर्क वार्तालाप छात्र से होगा उतना ज्यादा फायदा आगे की पीढ़ी को होगा। विश्वविद्यालयों में कोरोना टीका करण को जल्दी से जल्दी पूरा करना चाहिए।

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