Advertisment

Delhi Riots: 5 सांसदों ने दिल्ली पुलिस की जांच पर ये उठाए सवाल, राष्ट्रपति को सौंपा मेमोरेंडम

दिल्ली हिंसा मामले (Delhi Riots) में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police) ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट यानी यूएपीए के तहत कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. पुलिस ने सफूरा जरगर और ताहिर हुसैन सहित कुल 15 लोगों को आरोपी बनाया है.

author-image
Deepak Pandey
New Update
delhi riots

दिल्ली हिंसा( Photo Credit : फाइल फोटो)

Advertisment

दिल्ली हिंसा मामले (Delhi Riots) में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल (Delhi Police) ने अनलॉफुल एक्टिविटी प्रिवेंशन एक्ट यानी यूएपीए के तहत दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल कर दी. इस केस में पुलिस ने सफूरा जरगर और ताहिर हुसैन सहित कुल 15 लोगों को आरोपी बनाया है. इसके बाद 5 सांसदों ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मेमोरेंडम सौंपा है. 

यह भी पढ़ें- सुशांत के बैंक डीटेल्स से बड़ा खुलासा, छिछोरे की पार्टी में ये हुआ था काम

5 सांसदों डी राजा, सीताराम येचुरी, अहमत पटेल, कनीमोज़ी, मनोज झा ने दिल्ली दंगों में दिल्ली पुलिस द्वारा की जा रही जांच को लेकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को मेमोरेंडम सौंपा है. इन सांसदों ने दिल्ली पुलिस की जांच पर सवाल उठाए हैं. सांसदों ने ज्ञापन में कहा कि दिल्ली पुलिस नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वालों को दंगाई बता रहे हैं.

ज्ञापन में यह भी कहा कि दिल्ली पुलिस में कम्युनिस्ट पार्टी के बड़े नेता सीताराम येचुरी से लेकर कई बुद्धिजीवियों के नाम हैं, जो प्रदर्शन में भाषण देने गए थे. दिल्ली पुलिस की जांच एकतरफा है. कई वीडियो सामने आए हैं, जिसमें दंगों में दिल्ली पुलिस की भूमिका भी नजर आ रही है.

उन्होंने कहा कि एक वीडियो में दिल्ली पुलिस के कई जवान घायल पड़े युवक फैजान से राष्ट्रगान गाने के लिए कह रहे हैं और बाद में वह युवक मर जाता है. दिल्ली पुलिस की चार्जशीट में भड़काऊ भाषण देने वाले बीजेपी नेताओं कपिल मिश्रा, प्रवेश वर्मा, अनुराग ठाकुर का नाम तक नहीं है. दिल्ली पुलिस ने दंगों में बीजेपी नेताओं की भूमिका पर आंखों पर पट्टी बांध ली है.

यह भी पढ़ें- राज्यसभा में बोले राजनाथ सिंह बोले- चीन की 'कथनी और करनी' में अंतर

सांसदों ने यह भी कहा कि एफआईआप 59 जोकि दंगों की साज़िश पर है उसमें नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले युवाओं को UAPA के कानून के तहत गिरफ़्तार किया गया है. दिल्ली पुलिस की जांच पूरी तरह पक्षपात पूर्ण है. दिल्ली दंगों की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, ताकी लोगों का विश्वास कानून और व्यवस्था देखने वाली संस्थाओं पर बना रहे. पांचों सांसदों ने मांग की है कि दिल्ली दंगों की जांच Commission of Inquiry act, 1952 के तहत किसी मौजूद या रिटायर्ड जज द्वारा कराई जाए.

delhi-violence delhi-police Delhi Riots 2020 president-ram-nath-kovind
Advertisment
Advertisment
Advertisment